बूंदीPublished: May 25, 2019 09:20:01 pm
पंकज जोशी
. दरकती दीवारें, चहुंओर फैली गंदगी। टूटी टाइल्स और उखड़ता फर्निचर। कुछ इसी तरह दिखाई देने लगा है डेढ़ करोड़ रुपए की लागत से बना बूंदी का किसान भवन।
डेढ़ करोड़ की लागत से बना आधुनिक भवन हुआ वीरान, दरकने लगी दीवारें, टूटी टाइल्स
– कांग्रेस सरकार में बनकर तैयार हुआ था किसान भवन
बूंदी. दरकती दीवारें, चहुंओर फैली गंदगी। टूटी टाइल्स और उखड़ता फर्निचर। कुछ इसी तरह दिखाई देने लगा है डेढ़ करोड़ रुपए की लागत से बना बूंदी का किसान भवन। किसानों के ठहरने के लिए आधुनिक सुख-सुविधाओं से बना यह भवन मंडी परिसर में बना था। बाद में मंडी यहां से अन्यत्र शिफ्ट हो गई। अब यहां कोई नहीं आता।
जानकारी के अनुसार कांग्रेस सरकार में डेढ़ करोड़ की लागत से वर्ष २०१२ में भवन बनकर बताया हो गया था, लेकिन मंडी प्रशासन के शुरुआत से ही ध्यान नहीं देने से भवन वीरान होता चला गया। सरकार की यह भव्य इमारत बिना कोई उपयोग के अब जर्जर होने लग गई।इसकी दीवारें दरक गई। कई जगहों से प्लास्टर उखड़ गया।
नही हैं रिकॉर्ड
मंडी परिसर के यहां बने किसान भवन किसानों के रुकने के काम नहीं आ रहा है। कृषक भवन में रुकने वाले किसानों का रिकॉर्ड भी नहीं है। ताज्जुब की बात यह है कि इन सात वर्षों में एक भी किसान यहां नहीं रुका। कभी कोई किसान इक्का दुक्का रुका होगा जिसका भी रिकॉर्ड नहीं रहा।
यह था उद्देश्य
मंडी में आधुनिक सुविधा से युक्त जिस किसान भवन का निर्माण कराया गया, उसका उद्देश्य मंडी में माल लेकर आने वाले किसानों को रात के समय सुविधा देना था। लेकिन एक तरफ भवन होने से अधिक किराया होने से किसानों ने इस ओर रुझान नहीं दिखाया।
हो गए सात वर्ष
किसान भवन का निर्माण २०१२ में कराया गया था। फाइव स्टार होटल की तरह इसका आकार दिया गया था। भवन में रंग-रोगन, बिजली व नल फिटिंग, शौचालय, रोशनदान, चमचमाती फर्श समेत सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया था।
सरकारी काम में आया उपयोग
किसान भवन का उपयोग कभी-कभी प्रशासन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में किया गया हैं या फिर चुनाव आदि जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों के दौरान ड्यूटी लगे पुलिस जवानों के ठहरने के काम आता है।
असामाजिक तत्वों का जमावड़ा
इस भव्य इमारत के सन्नाटे के साये में रहने से यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहने लगा है। रात के समय तो यहां नशेड़ी जमा दिखते हैं।
कर रहे हैं प्लानिंग
‘बूंदी कृषि उपज मंडी के कुंवारती शिफ्ट होने से यहां किसानों का आना-जाना कम हो गया है। ऐसे में नीचे वाले भाग को किराए पर देने पर विचार किया जा रहा है। वहीं ऊपर वाले हिस्से को लीज पर देने की प्लानिंग है।
मोहन लाल जाट, सचिव, कृषि उपज मंडी, बूंदी