जिला प्रमुख चुनावों के बाद भी पंचायत राज की राजनीति खत्म नहीं हुई है। जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक को इसी माह दूसरी बार इस वजह से स्थगित करनी पड़ी कि 18 लाख मतदाताओं ने जिन सांसद, विधायक, प्रधान व जिला पार्षदों को चुना उनमें से एक तिहाई भी बैठकों में नहीं आए।
जिला प्रमुख चुनावों के बाद भी पंचायत राज की राजनीति खत्म नहीं हुई है। जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक शुक्रवार को इसी माह दूसरी बार इस वजह से स्थगित करनी पड़ी कि 18 लाख मतदाताओं ने जिन सांसद, विधायक, प्रधान व जिला पार्षदों को चुना उनमें से एक तिहाई भी बैठकों में नहीं आए।
बैठक के लिए 26 सदस्यों का कोरम पूरा होना जरूरी है, लेकिन शुक्रवार को केवल 21 ही पहुंचे। जिसमें 15 जिला पार्षद, एक विधायक, तीन प्रधान, जिला प्रमुख व उप जिला प्रमुख शामिल हैं। खास बात ये है कि अलवर जिले की जनता ने चार सांसद, 11 विधायक, 14 प्रधान और 49 जिला पार्षद चुने हैं।
अब तक छह बैठकों में से तीन स्थगित
जिला प्रमुख चुनाव के बाद अब तक छह में से तीन बैठकें स्थगित हो चुकी हैं।इससे पहले चार जनवरी 2016, 20 फरवरी 2016, 2 जुलाई 2015, 13 मई 2015 व 23 फरवरी 2015 को साधारण सभा की बैठक बुलाई गई हैं। जिनमें से 22 जनवरी, 4 जनवरी और 2 जुलाई की बैठकें स्थगित हो चुकी हैं।
कांग्रेस की विधायक व प्रधान ही आए
बैठक में कांग्रेस की एकमात्र विधायक शकुन्तला रावत के अलावा लक्ष्मणगढ़ प्रधान शाीला मीणा, थानागाजी के प्रधान महन्त जयरामदास व कठूमर प्रधान संजय खींची ही पहुंचे। इसके अलावा 15 जिला पार्षद आए।
तीनों प्रधानों का कहना है कि सरकार ने पंचायतराज को कमजोर बनाने के बाद से जनप्रतिनिधियों में गुस्सा है। मेवात क्षेत्र की कार्य योजना बनाने में प्रधान व पार्षदों से बात तक नहीं की गई। ग्राम पंचायतों की बजाय सीधे विधायकों से प्रस्ताव लिए गए हैं।
सांसदों ने दर्शन नहीं दिए
जिला परिषद की साधारण सभा की बैठकों में अभी तक जिले के चार सांसदों में से एक ने भी दर्शन नहीं दिया है। जबकि अलवर की जनता ने अलवर से महन्त चांदनाथ, जयपुर ग्रामीण से राज्यवद्र्धन सिंह राठौड़, दौसा से हरीश मीना व भरतपुर से बहादुर सिंह कोली को सांसद चुना है।
आगे से चपरासी ही नजर आएंगे
साधारण सभा की बैठक का समय सुबह 11 बजे था। करीब 11:40 बजे तक इन्तजार किया गया। इसके बाद जिला प्रमुख रेखा राजू यादव ने कोरम अभाव में बैठक स्थगित करने की घोषणा की।
इससे पहले कुछ पार्षदों ने जिला परिषद सीईओ से यह पूछ लिया कि बैठक हों इसके लिए कुछ करो। इस पर सीईओ डॉ. विक्रम जिन्दल ने कहा कि यही स्थिति रही तो आगे चपरासी ही नजर आएंगे।
सरकार के गलत निर्णय
रेखा राजू यादव जिला प्रमुख अलवर ने बताया कि इस सरकार ने पंचायत राज को इतना कमजोर बना दिया कि जिला पार्षदों से उनके ही क्षेत्र में विकास कार्यों के प्रस्तावों पर चर्चा तक नहीं की जा रही है। मेवात की कार्य योजना में पार्षद व प्रधान शामिल नहीं है। इसका भी गुस्सा है।
होगी गंभीरता कम
डॉ. विक्रम जिन्दल सीईओ जिला परिषद अलवर ने बताया कि मेरा कहने का यही मतलब था कि पार्षद ही साधारण सभा की बैठकों में नहीं आएंगे तो अधिकारियों में भी गंभीरता कम होती जाएगी।