दादा साहब फाल्के ने पत्नी के गहने बेचकर बनाई थी पहली फिल्म (Dadasaheb Phalke Birth Anniversary)
दादा साहब फाल्के का जन्म 30 अप्रैल 1870 को नासिक के निकट ‘त्र्यंबकेश्वर’ में हुआ था। इनका पूरा नाम धुंडीराज गोविंद फालके है, दादा साहब फाल्के जब देश की पहली फिल्म बना रहे थे उस समय किसी को कैमरा, स्क्रिप्ट, डायलॉग और बाकी प्रोडक्शन के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। फिर भी दादा साहब फाल्के ने 1913 में पहली फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ को बनाने का सोचा, उनके पास पैसे नहीं थे फिर भी उस समय ये फिल्म 15 हजार रुपए में बनी थी और वो पैसे दादा साहब फाल्के को उनकी पत्नी ने अपने गहने बेचकर दिए थे। देश की पहली फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ थी जिसमें आवाज नहीं थी और ऐसे गुलाम देश को पहली फिल्म मिली। दादा साहब फाल्के ने जब ‘राजा हरिश्चंद्र’ फिल्म की शूटिंग शुरू की उस समय उनके पास एक्ट्रेस को देने के लिए पैसे नहीं थे, काफी लंबे समय तक दादा साहेब फाल्के एक्ट्रेस की तलाश करते रहे। क्योंकि कोई भी इतने कम पैसों में काम करने को तैयार नहीं था। दादा साहेब ने फिर भी हार नहीं मानी और अपनी एक्ट्रेस की तलाश में रेड लाइट एरिया भी गए ताकि वहां से उन्हें अपनी एक्ट्रेस मिल पाए, लेकिन वहां भी उन्हें कोई हीरोइन नहीं मिली। तब दादा साहेब निराश होकर एक होटल में चाय पीने पहुंचे। चाय पीते समय दादा साहेब की नजर एक लड़की पर पड़ी और उसी को दादा साहेब ने अपनी हीरोइन बनाया।
15 हजार रुपए में पहली फिल्म देकर दादा साहब फाल्के ने इतिहास रच दिया। दादा साहेब को आज उनके फिल्मी योगदान के लिए याद किया जाता है और यही वजह है कि 1969 में बॉलीवुड कलाकारों ने दादा साहेब को याद करने के लिए उनके नाम पर अवॉर्ड रख दिया. ये अवॉर्ड आज भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।