सर्दी में सुस्ती धूप पर्याप्त न मिल पाने के कारण महसूस होती है। शरीर में विटामिन डी की कमी से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें मांसपेशियों में कमजोरी और थकान भी शामिल है। आलस छाया रहता है। विटामिन डी की कमी का एनर्जी लेवल पर असर पड़ता है। रिसर्च की बात करें, तो 10 मिनट धूप लेने से भी काफी विटामिन डी मिल सकता है। धूप खिली हो, तो कम से कम 30 मिनट खुले में बैठें। इससे शरीर ऊर्जा से भरपूर रहता है। नहाएं जरूर। बहुत से लोग सर्दियों में कई दिन के अंतराल पर नहाते हैं। इसलिए भी आलस बना रहता है।
सर्दियों के दौरान सर्केडियन रिदम प्रभावित होती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के एक अध्ययन में यह खुलासा किया गया है। वहीं मेलाटोनिन नींद से संबंधित एक हार्मोन है। जॉन हॉपकिन्स मेडिसिन के अनुसार अंधेरा होने पर शरीर स्वाभाविक रूप से अधिक मेलाटोनिन बनाता है। इसलिए, जब दिन छोटे होते हैं, तो अधिक मेलाटोनिन बनता है।
कोशिश करें गर्माहट के लिए जिस जगह आप हों, वहां का तापमान सही रखें। होता यह है कि हम ठिठुरते हुए काम करते हैं और फिर रजाई में घुस जाते हैं। जाहिर सी बात है बिस्तर पर बैठे या लेटे रहने से आलस की समस्या बढ़ जाती है।
मीठा और तला-भुना कम खाएं। हरी सब्जियां, मौसमी फल खाएं। सर्द मौसम में अलसाए रहने का एक कारण खानपान-लाइफस्टाइल में होने वाला बदलाव भी है। कोशिश करें छोटे मील्स लें। भोजन में जितनी अधिक विविधता होती है, उतना ही ज्यादा खाते हैं।
तापमान गिरता है, तो मांसपेशियां शिथिल हो जाती हैं। दरअसल ठंडे मौसम के अनुकूल जब शरीर ढलता है, तो ऊर्जा की ज्यादा जरूरत होती है। इससे भी सुस्ती महसूस होती है। ठंड में गर्म रहने के लिए शरीर खुद ज्यादा से ज्यादा गर्मी उत्पन्न करता है। इससे भी कैलोरीज बर्न होती हैं।