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इन योगमुद्राओं से दूर होगा कलाई व जोड़ों का दर्द

locationजयपुरPublished: Jul 21, 2019 04:14:05 pm

joint pain treatment: कलाई का जोड़ छोटा और नाजुक होता है। अक्सर अचानक कलाई मुड़ने या हाथ पर जोर पड़ने से इसमें दर्द या सूजन आने जैसे दिक्कतें हो जाती हैं।

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कलाई का जोड़ छोटा और नाजुक होता है। अक्सर अचानक कलाई मुड़ने या हाथ पर जोर पड़ने से इसमें दर्द या सूजन आने जैसे दिक्कतें हो जाती हैं।

कलाई का जोड़ छोटा और नाजुक होता है। अक्सर अचानक कलाई मुड़ने या हाथ पर जोर पड़ने से इसमें दर्द या सूजन आने जैसे दिक्कतें हो जाती हैं। कुछ सूक्ष्म और यौगिक क्रियाएं ऐसी भी हैं जिनके अभ्यास से कलाई को आराम मिल सकता है। इनका फायदा यह है कि इन्हें आप कहीं भी और कभी भी समय मिलने पर कर सकते हैं।

मुट्ठी बनाकर घुमाना –
ऐसे करें: सबसे पहले हाथों को सामने की ओर फैलाएं। अंगुलियों के बीच अंगूठे को लेकर मुट्ठी बांध लें। कलाई की तरफ से मुट्ठी को पहले दाईं ओर से गोल घुमाएं। फिर बाईं तरफ से घुमाएं।
कब करें: वैसे तो इसे दिन में कभी भी दर्द होने की स्थिति में कर सकते हैं। फिर चाहें आप ऑफिस में हों या घर पर। लेकिन दिन में 3-4 बार इसका अभ्यास भी काफी होगा।
कितनी देर करें: एक बार में कलाई को दाएं-बाएं दोनों तरफ से कम से कम 5-10 बार घुमा सकते हैं।

हथेलियां ऊपर-नीचे करना –
ऐसे करें: दोनों हाथों को सामने की ओर फैलाकर सभी अंगुलियों को सीधा कर हथेली को टाइट फैला लें। इसके बाद कलाई की तरफ से हथेलियों को ऊपर-नीचे करें। ध्यान रखें हथेलियों को ऊपर-नीचे करने की गति सामान्य हो।
कब करें: कलाई में अकडऩ, दर्द होने पर इसे कर सकते हैं। साथ ही हाथ मोड़ने पर भी यदि दर्द हो तो इसका अभ्यास किया जा सकता है।
कितनी देर करें: जब तक कलाई में थोड़ा लचीलापन महसूस न हो तब तक इसे दोहराएं। एक समय में 50-10 बार अंगुलियां फैलाकर हथेलियों को ऊपर-नीचे करें।

गोमुखासन –
इस आसन को करने के दौरान शरीर की जो मुद्रा बनती है वह गाय के मुख के जैसी होती है। इसलिए इसे गोमुखासन कहा जाता है। इस दौरान हथेलियों को आपस में मिलाने से कलाई का वर्कआउट होता है।

ऐसे करें: सुखासन में बैठकर बाएं पैर की एड़ी को दाईं ओर कूल्हे के पास रखें। दाएं पैर को बाएं पैर के ऊपर से लाते हुए ऐसे बैठें कि दोनों पैरों के घुटने एक-दूसरे के ऊपर आ जाएं। दाएं हाथ को सिर की तरफ से पीठ की ओर ले जाएं। साथ ही बाएं हाथ को कोहनी से मोड़ते हुए पेट की तरफ से घुमाते हुए पीठ की तरफ ले जाएं। पीछे से दोनों हाथों को मिलाते समय एक सीधी रेखा बनाएं। हथेलियों को आपस में मिलाएं। सामान्य सांस लें। इस अवस्था में कुछ देर रुकने के बाद प्रारंभिक स्थिति में आएं।
ध्यान रखें: कंधे, पीठ, गर्दन, कूल्हों या घुटनों में किसी तरह की परेशानी हो तो इसका अभ्यास करने से बचें।

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