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जानें कैसे देते हैं मरीज को एनेस्थीसिया

locationजयपुरPublished: Feb 23, 2018 06:46:12 am

एनेस्थीसिया मेडिकल साइंस की वह महत्त्वपूर्ण शाखा है जो ऑपरेशन के दौरान मरीज को निश्चेतना की अवस्था में रखती है।

anesthesia

एनेस्थीसिया से जुड़े ऐसे अनेक मिथक हैं जो रोगियों के मन में कई सवाल पैदा करते हैं। विशेष कॉलम के तहत जानिए उनके जवाब।

जानिए क्या है एनेस्थीसिया
एनेस्थीसिया मेडिकल साइंस की वह महत्त्वपूर्ण शाखा है जो ऑपरेशन के दौरान मरीज को निश्चेतना की अवस्था में रखती है। इससे मरीज की बिना दर्द के सुरक्षित सर्जरी की जाती है। आम धारणा है कि एनेस्थीसियोलॉजिस्ट की भूमिका सर्जरी से पहले सिर्फ मरीज को बेहोश करने तक ही है, लेकिन ऐसा नहीं है। एनेस्थीसियोलॉजिस्ट शल्य क्रिया के दौरान बेहोशी की अवस्था को नियंत्रित रूप से बनाए रखता है व संपूर्ण शल्य प्रक्रिया का मुख्य सूत्रधार होता है। ठीक उसी प्रकार जैसे पायलट यात्रियों से भरे विमान को रनवे से लेकर गंतव्य हवाई पट्टी पर विमान के उतरने तक उत्तरदायी होता है।

ये हैं प्रमुख कार्य
विशेष उपकरणों, मशीनों व दवाओं की सहायता से रोगी को सर्जरी शुरू होने से पहले बेहोश करना।
सर्जरी के दौरान हृदयगति, ब्लड प्रेशर व शरीर की सभी कोशिकाओं में ऑक्सीजन की मात्रा को नियत रखना, मस्तिष्क, किडनी व लिवर आदि अंगों को भी सामान्य बनाए रखना ताकि सर्जरी के बाद रोगी को बिना परेशानी के पहले की तरह सामान्य स्थिति में लाया जा सके।

किसी भी ऑपरेशन से पहले मरीज की प्री-एनेस्थेटिक जांच करना।
आईसीयू के प्रमुख संचालक भी एनेस्थीसियोलॉजिस्ट ही होते हैं। दुर्घटना या किसी भी आकस्मिक कारण से अंतिम सांसें लेते हुए व्यक्तिमें जीवन का पुन: संचार करना भी एनेस्थीसियोलॉजिस्ट का कार्यक्षेत्र है।

प्री-एनेस्थेटिक जांच
ऑपरेशन से पूर्व विभिन्न जांचें करके देखा जाता है कि मरीज का शरीर और प्रमुख अंग एनेस्थीसिया व सर्जरी के प्रभाव को सहन कर पाएंगे अथवा नहीं। यदि रोगी में फिटनेस की समस्या होती है तो एनेस्थीसियोलॉजिस्ट पहले रोगी का उपचार कराने का निर्देश देता है। ठीक होने पर बेहोश किया जाता है ताकि बिना किसी परेशानी के वह दोबारा होश में आ सके।

ये हैं प्रकार

जनरल एनेस्थीसिया : मरीज को ड्रिप लगाकर विभिन्न दवाएं देकर बेहोश करते हैं। बेहोश होते ही उसके मुंह पर मास्क लगाकर ऑक्सीजन दी जाती है। फिर लेरिंजोस्कोप यंत्र से मुंह में रोशनी करके सांस नली देखते हैं और एंडोट्रेकियल ट्यूब डालकर इसे एनेस्थीसिया मशीन से जोड़ देते हैं। इस ट्यूब से मरीज को बेहोश करने के लिए ऑक्सीजन सहित विशेष प्रकार की गैसें भी दी जाती हैं। मरीज की बेहोशी के बाद सर्जरी शुरू की जाती है। सर्जरी के पूर्ण होने तक एनेस्थीसियोलॉजिस्ट मरीज के सभी प्रमुख अंगों को सामान्य बनाए रखने के लिए देखरेख करता है। ऑपरेशन के बाद मरीज को दवाएं देकर एनेस्थीसिया के प्रभाव से मुक्त कर होश में लाया जाता है।

लोकल एनेस्थीसिया : किसी विशेष अंग को सुन्न करने के लिए दिया जाता है। इसमें पूरे शरीर में संवेदना रहती है जिस अंग पर दवा का प्रयोग होता है उसमें संवेदना न होने से उसकी सर्जरी की जा सकती है।

स्पाइनल व एपीड्यूरल एनेस्थीसिया : पेट के नीचे वाले हिस्से में ऑपरेशन के लिए मरीज की पीठ में सुई से दवा देकर कमर के निचले हिस्से को सुन्न कर दिया जाता है। इसमें मरीज होश में रहता है लेकिन सर्जरी के दौरान उसे दर्द महसूस नहीं होता।

एनेस्थीसिया की मात्रा कई चीजों पर निर्भर
डॉ. सुधीर सचदेव कहते हैं कि कई बार समान उम्र के दो लोगों की समान शल्य चिकित्सा के लिए एनीस्थीसिया की दवाएं, तकनीक व प्रणाली एक जैसी नहीं होतीं। मरीज को किस तरह का एनेस्थीसिया दिया जा सकता है, एनेस्थीसियोलॉजिस्ट इसका निर्धारण रोगी के वजन, उसकी जीवनशैली, सेहत, इलाज वाले रोग के अलावा अन्य बीमारियां हैं या नहीं आदि जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए ही करता है।

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