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जेस्टेशनल डायबिटीम के कारण बढ़ता गर्भस्थ शिशु का आकार

Published: Aug 16, 2019 03:22:07 pm

Submitted by:

Divya Sharma

प्रेग्नेंसी में सेहत का ध्यान न रखने से ब्लड शुगर लेवल पर बुरा असर होने लगता है जो कि इस दौरान गेस्टेशनल डायबिटीज का कारण बनता है।

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जेस्टेशनल डायबिटीम के कारण बढ़ता गर्भस्थ शिशु का आकार

जेस्टेशनल डायबिटीज के मामले महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान ज्यादा पाए जाते हैं। हालांकि प्रसव बाद यह स्वत: कंट्रोल भी हो जाती है। गर्भावस्था के दौरान होने से जन्म लेने वाला शिशु आकार में बड़ा होता है।
इन्हें बनाएं आधार
वैसे तो इस रोग का पहले से अंदाजा नहीं लगा सकते लेकिन यदि प्रेग्नेंसी ३० वर्ष के बाद, बीएमआई के अनुसार जरूरत से ज्यादा वजन, अनियमित खानपान व दिनचर्या है तो इस डायबिटीज की आशंका १०-१५ फीसदी बढ़ जाती है। फैमिली हिस्ट्री होने पर भी रिस्क बढ़ जाता है। ऐसे में इन बातों को ध्यान में रखकर प्लानिंग करनी चाहिए। डाइट में कार्बोहाइड्रेट, हाई कैलोरी, फैट और प्रोसेस्ड फूड न लें।
अधिक वजन का शिशु
इस डायबिटीज में गर्भस्थ शिशु के मानसिक व शारीरिक विकास पर बुरा असर होता है। महिला के रक्त मेंं ग्लूकोज की अधिक मात्रा प्लेसेंटा के जरिए शिशु के पेन्क्रियाज को अतिरिक्त इंसुलिन निर्माण के लिए संदेश देती है। इससे शिशु बड़े आकार व अधिक वजन का पैदा होता है। इन बच्चों में भविष्य में टाइप२ डायबिटीज हो सकती है।
एक्सपर्ट : डॉ. पुनीत सक्सेना डायबिटोलॉजिस्ट, एसएमएस अस्पताल, जयपुर
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