फ्लाईपल्स ने जान कारी दी कि स्वी डन में हर साल करीब 1000 लोग अस्पताल के बाहर ही कार्डियक अटैक के शिकार हो जाते हैं। उनमे से केवल 500 लोग ही सर्वाइव कर पाते हैं। इसलिए ऐसे ड्रोन का निर्माण किया गया है। इस ड्रोन को बनाने के उद्देश्य रोगी के हार्ट अटैक और डिफि ब्रिलेशन के बीच के समय को कम करना है, ताकि मरीज की जान बचाई जा सके।
4 गुना तेज पहुंचते हैं मरीज तक
फ्लाईपल्स लाइफड्रोन-एईडी एक क्वाडकोप्टर है, जो एक ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डीफिब्रिलेटर की तरह काम करता है। डिफिब्रिलेशन यानी हॉर्ट अटैक को रोकने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया। यह ड्रोन ऐसे स्थानों पर भेजे जाने के लिए डिजाइन किया गया है, जहां से हार्ट अटैक की रिपोर्ट की गई है। ट्रेडि शनल इम रजेंसी सर्विसेज को इमरजेंसी तक पहुंचने में जितना समय लगता है, उससे ४ गुना कम समय में पहुंचकर यह ड्रोन आपातकालीन सेवा दे देता है।
१० मील है रेंज
लाइफड्रोन 10 मील की दूरी की रेंज प्रदान करता है, जो काफी प्रभाव शाली है। यह एक अलार्म सिस्टम और सॉफ़्ट वेयर के साथ काम करता है। इसे कहीं भी इंस्टॉल किया जा सकता है। आपके दिमाग में यह सवाल जरूर आया होगा कि भला एक एरिया में इंस्टॉल किया गया ड्रोन सिस्टम कैसे मदद गार हो सकता है तो बता दें कि ‘जर्नल ऑफ द अमरीकन मेडिकल एसोसिएशन’ में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक यह लाइफ ड्रोन १० मील की सीमा में एम्बुलेंस की तुलना में ४ गुना अधिक तेजी से पहुंच सकता है। ऐसे में यह काफी मदद गार साबित हो सकता है।