scriptकोलोरेक्टल कैंसर: लक्षण को समय पर पहचान कर लें डॉक्टरी सलाह | Colo rectal Cancer: Take doctor's advice on time | Patrika News

कोलोरेक्टल कैंसर: लक्षण को समय पर पहचान कर लें डॉक्टरी सलाह

locationजयपुरPublished: Apr 14, 2018 12:12:08 am

आम बोलचाल में कोलोरेक्टल कैंसर को ही कोलन कैंसर कहते हैं। खान-पान और लाइफस्टाइल के कारण कोलन कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं।

Colo rectal Cancer

आम बोलचाल में कोलोरेक्टल कैंसर को ही कोलन कैंसर कहते हैं। खान-पान और लाइफस्टाइल के कारण कोलन कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। पुरुषों के मुकाबले महिलाएं कोलन कैंसर का ज्यादा शिकार हो रही हैं। जो महिलाएं फाइबर वाली चीजें कम खाती हैं जिससे उनमें कोलन कैंसर का खतरा अधिक होता है। असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि जब कोलन, रेक्टल या दोनों में ही फैलती हैं, तो इस फैलाव को कोलोरेक्टल कैंसर कहते हैं. इसे कोलन- रेक्टल, बोवेल, रेक्टल कैंसर भी कहा जाता है। कोलन कैंसर को बड़ी आंत का कैंसर भी कहा जाता है।

ये हैं लक्षण
खाने की आदतों में बदलाव
यह लक्षण कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षणों में सबसे सामान्य है। इसमें किसी भी व्यक्ति के खाने पीने की आदतों में बदलाव आने लगता है और कभी वह कम खाता है तो कभी ज़्यादा, लेकिन उसे हर समय पेट खाली लगता है।

दस्त या कब्ज
अगर किसी व्यक्ति को कोलोरेक्टल कैंसर हो जाता है तो उसे लगातार दस्त या कब्ज की शिकायत बनी रहती है।

स्टूल के रंग में बदलाव
कोलोरेक्टल कैंसर होने पर स्टूल के रंग में परिवर्तन देखने को मिलता है कभी स्टूल का रंग लाल तो कभी काला होता है। कैंसर होने पर स्टूल में ब्लड आने लगता है लेकिन ब्लड का रंग भी लाल न होकर बहुत अधिक लाल या फिर काला होता हैं।

पेट में ऐंठन, भरा महसूस होना
लगातार पेट में ऐंठन और पेट का भरा महसूस होना, इसके लक्षणों में एक लक्षण ये भी शामिल है। कोलोरेक्टल कैंसर होने पर किसी का भी वजन बिना डायटिंग किए कम होने लगता है।

थकान होना
कोलोरेक्टल कैंसर में व्यक्ति बिना किसी काम के थका सा महसूस करता है। कोलोरेक्टल कैंसर का उपचार हो सकता है, लेकिन जैसे ही किसी व्यक्ति को बीमारी के लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करे।

ये प्रभावित
20 में से 1 आदमी को कोलोरेक्टर कैंसर होने का खतरा होता है।
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है उतना इस कैंसर के होने का खतरा बढ़ता
जाता है।
यदि 50 वर्ष तक की आयु तक इसका पता चल जाये तो इलाज संभव है।
यदि घर में किसी को कोलोरैक्टल कैंसर हुआ है तो इसके होने की आशंका बढ़ जाती है।
धूम्रपान व एल्कोहल का सेवन करने वालों को यह कैंसर होने का खतरा होता है।

डिजिटल रेक्टल
40 वर्ष की उम्र से ही डिजिटल रेक्टल परीक्षण कराना चाहिए। इसे प्रति लापरवाही या हल्के में बिल्कुल नहीं लेना चाहिए।

कोलोनोस्कोपी
50 वर्ष की उम्र के बाद हर 10 साल बाद रुटीन चेकअप के साथ ही सिग्मायडोस्कोपी और कोलोनोस्कोपी कराना सही रहता है।

क्या है इलाज
स्टूल में खून हो तो यह कोलन कैंसर की पहचान का सबसे सरल तरीका है। स्क्रीनिंग के जरिए डॉक्टर इसकी पहचान कर सकते हैं। कोलोनोस्कोपी और सिटी पैट स्कैन के जरिए कोलन कैंसर की पहचान की जाती है। कोलन कैंसर के ट्रीटमेंट का एकमात्र तरीका सर्जरी है। कीमोथैरेपी से इसका साइज कम किया जाता है उसके बाद सर्जरी की जाती है। अगर कैंसर सेल लीवर तक फैल जाती हैं तो मरीज को रेडियो फ्रीक्वेंसी एबलेशन ट्रीटमेंट दिया जाता है। कोलन कैंसर का इलाज तब तक ही संभव है जब यह आंतों तक ही सीमित हो। ज्यादातर मामलों में मरीज कोलन कैंसर के लक्षणों को मामूली समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। इससे कैंसर फैलकर लिम्फ नोड्स तक पहुंच जाता है, जो घातक होता है। इसलिए यदि आपको यह लक्षण दिखें तो चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें।

ऐसे करें बचाव
धूम्रपान से बचाव शराब से दूर रहें।
रेड मीट खाने से बचें।
अधिक से अधिक मौसमी फल और ताजा सब्जियां लें जिनमें पर्याप्त फाइबर हो
एडिनोमेटस पॉलिपोसिस के पारिवारिक इतिहास के साथ व्यक्ति का विशेष रूप से जल्दी चिकित्सा उपचार लेना चाहिए।
आंत का सूजन रोग विशेष रूप से क्रोन्स रोग लक्षणों में किसी भी असामान्य परिवर्तन दिखें तो जल्द से जल्द जांच करवा लें।

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