इसे जोड़ों में दर्द, लकवा, कब्ज, बहरापन व कमरदर्द आदि में प्रयोग करते हैं। शरीर पर इसकी मालिश कर सकते हैं। विशेषज्ञ दूध में 1-2 बूंद तेल डालकर पीने की भी सलाह देते हैं।
बालों से जुड़ी समस्याओं खासकर गंजेपन से राहत पाने के लिए यह तेल उपयोगी है। इस तेल से सिर पर हल्के हाथ से मसाज करें। नियमित मसाज से हेयरफॉल की समस्या दूर होती है और बाल लंबे व घने होने लगते हैं।
सांस संबंधी समस्या, टीबी, शारीरिक कमजोरी, रक्त में पित्त का बढऩा या शरीर में कहीं पर भी सूजन हो तो इस तेल को विशेषज्ञ के बताए अनुसार प्रयोग में ले सकते हैं। सुबह और शाम इस तेल से की गई मालिश फायदेमंद होती है।
मुंह संबंधी समस्याएं जैसे मुंह में दुर्गंध, मसूढ़े संबंधी दिक्कत, जीभ व होठों से जुड़े रोग आदि में इस तेल का इस्तेमाल होता है। बतौर इलाज इस तेल को मुंह में भरकर कुल्ला करने की सलाह दी जाती है।
सुबह और रात को सोते समय इस तेल को जहां-जहां कील-मुंहासे, झाई, दाग या धब्बे हों, वहां लगाकर अंगुली से थोड़ी देर मसलना चाहिए। थोड़े दिनों में चेहरा बिलकुल साफ और बेदाग हो जाएगा।
सिर का दर्द, आधा सीसी, पीनस, नजला, अर्दित, मन्यास्तम्भ आदि में लाभप्रद। जात्यादि तेल
नाड़ी व्रण (नासूर), जख्म व फोड़े के जख्म को भरता है। कटे या जलने से उत्पन्न घावों के उपचार में लाभदायक है।
सातों धातुआें काे पुष्ट कर वात विकार नष्ट करता है। कास, श्वास, क्षय, शारीरिक क्षीणता, दाह, रक्तपित्त, खुजली, शिररोग, नेत्रदाह, सूजन, पांडू व पुराने ज्वर में उपयोगी है। दुबले-पतले शरीर को पुष्ट करता है। बच्चों के लिए सूखा रोग में फादया पहुंचाता है।