2. जू में 4 सफेद टाइगर थे, इनमें से दो नर विजय व आकाश और दो मादा सिद्धि और जारा हैं। विजय की मौत 26 दिसम्बर देर रात हो गई। इसकी जानकारी जू प्रबंधन को दूसरे दिन सुबह 8.30 बजे तब हुई जब जू कीपर केजों के निरीक्षण के लिए गया। उसने विजय के शरीर में हलचल नहीं देख प्रबंधन को जानकारी दी।
0 डॉ. पीके चंदन, डॉ. सत्यप्रकाश सिन्हा और डॉ. पियूष दुबे ने मुख्य वन संरक्षक वाइल्ड लाइफ पीके केशर, अधीक्षक एचबी खान अब रिटायर्ड हो गए। परिक्षेत्राधिकारी अजय शर्मा सहित अन्य की मौजूदगी में पोस्टमार्टम किया। डॉक्टरों के मुताबिक कोबरा सांप के काटने से बाघ की मौत की पुष्टि की गई थी। सैंपल रासायनिक जांच के लिए बरेली यूपी भेजा गया।
बस्तर से 2002 में लाई गई आदमखोर मादा बंगाल टाइगर लावा की मौत 21 वर्ष की आयु में 2011 में हुई थी। साथ लाई गई ज्वाला की मौत 22 वर्ष की उम्र में 2012 में हुई थी। जू में 66 प्रजाति के 600 वन्य जीव हैं। सभी असुरक्षित हैं। बाउंड्री वॉल कमजोर हो गई है। बाहरी जीव अंदर आकर बीमारी फैला सकते हैं।
0 2014 में 22 चीतल मर गए थे
कानन पेंडारी मिनी जू में अब तक कई वन्य जीवों की मौत हो चुकी हैं। सभी की जांच अधूरी है। 15 जनवरी 2014 को यहां 22 चीतलों की संदिग्ध मौत हुई थी। इसके बाद 17 मई 2018 को नर तेंदुआ के हमले से मादा तेंदुआ की मौत हो गई। शुतुरमुर्ग की मौत 21 जुलाई को हुई थी।
0. कानन पेंडारी स्मॉल जू में सफेद बाघ की मौत समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण हुई थी। सांप के डसने के 15 घंटे तक भी कोई उसे देखने नहीं पहुंचा था।
0. वन्यप्राणियों के साथ आकस्मिक घटना या बीमार होने पर उनके इलाज के लिए न तो वाइल्ड लाइफ के एक्सपर्ट डॉक्टर हैं और न ही बायोलॉजिस्ट।
0. जू में संरक्षित श्रेणी बाघ, शेर सहित अन्य वन्यप्राणियों को शाम 5 बजे नाइट एनक्लोजर में रखने के बाद सुबह 8 बजे तक उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है। इस बीच उनकी देखरेख की कोई व्यवस्था नहीं होती।
2. सफेद बाघ विजय के साथ भी यही हुआ। जू कीपर उसे शाम को नाइट एनक्लोजर में छोड़कर गए और उसके बाद सुबह जब जू कीपर वहां पहुंचा, तो उसकी मौत हो चुकी थी। कानन के अफसर सांप काटने की कहानी को पूरे जोर से प्रचारित कर रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि बाघ को सांप ने काट लिया तो 15 घंटों के बीच उसकी देखरेख की कोई व्यवस्था क्यों नहीं थी।
संदीप बल्गा, डीएफओ जबलपुर व यूपी के बरेली में बिसरा जांच के लिए भेजा गया था। दोनों जगह से रिपोर्ट एक ही आई है।
पीके चंदन, चिकित्सक
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