जो भी भक्त संकट व कष्टों से मुक्ति चाहता है, उसे भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए।
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बिलासपुर. भगवान गणेश का जन्मोत्सव गणेश चतुर्थी आगामी 13 सितंबर को मनाया जाएगा। इस बार स्वाति नक्षत्र में गणपति की स्थापना होगी। जो पूजा-अर्चना के लिए उत्तम माना जाता है। इस बार पंचक व भद्रा से मुक्त होकर यह उत्सव मनाया जाएगा। गणपति की पूजा करने से भक्तों को विघ्नहर्ता का आशीर्वाद मिलेगा। साथ ही साथ सभी संकट व कष्टों से मुक्ति मिलेगी।
गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। इस बार यह पर्व 13 अगस्त को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुविद डॉ. दीपक शर्मा ने बताया कि इस बार स्वाति नक्षत्र में गणेश चतुर्थी का पर्व मनेगा, जो कि पूजन की दृष्टि से उत्तम नक्षत्र माना जाता है। इसलिए इस नक्षत्र में स्थापना पूजन करना भी उत्तम रहेगा।
भगवान श्री गणेश विघ्नहर्ता हैं, हर विघ्न को हर लेते हैं। इसलिए जो भी भक्त संकट व कष्टों से मुक्ति चाहता है, उसे भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुविद डॉ. उद्धव श्याम केसरी ने बताया कि 13 से 23 सिंतबर तक यह उत्सव मनाया जाएगा। स्वाति नक्षत्र में भगवान की पूजा कर भक्त कृपा प्राप्त करेंगे।
23 को मनेगी अनंत चतुर्दशी
इस बार भगवान गणेश 13 से 23 सितंबर तक विराजमान रहेंगे। भद्रा व पंचक जैसे चीजें गणपति को प्रभावित नहीं करेंगी। ऐसे में इस वर्ष पूरी तरह से इनसे मुक्त होकर गणेश की पूजा की जाएगी। हवन पूजन का कार्य भी श्रद्धालु अपने मुताबिक अनंत चतुर्दशी के दिन करा सकेंगे।
पंचक का प्रभाव नहीं पड़ेगा इस वर्ष
पूर्व वर्षों में पंचक के प्रभाव के कारण गणेशोत्सव का पर्व प्रभावित होता रहा है, जिसके कारण भगवान श्रीगणेश के विसर्जन की प्रक्रिया कुछ पहले आरंभ हो जाती थी। लेकिन इस वर्ष गणेशोत्सव का पर्व पूर्णतया पंचक से मुक्त रहेगा।
गणेश स्थापना के शुभ मुहूर्त
– गुरुवार को गणेश स्थापना के लिए सबसे पहला मुहूर्त सुबह 6.00 बजे से लेकर 7.30 बजे तक है। – इसके बाद 10.30 बजे दूसरा मुहूर्त शुरू होगा जो कि दोपहर 12.00 बजे तक रहेगा।
– गणेश स्थापना के लिए दोपहर 12.00 बजे से 3.00 बजे तक का मुहूर्त भी श्रेष्ठ रहेगा। – इसके बाद शाम 4.30 बजे से चौथा मुहूर्त प्रारंभ होगा जो 6.00 बजे तक लगातार रहेगा।
– शाम 6.00 बजे से रात 9.00 बजे तक भगवान गणेश की स्थापना का शुभ मुहूर्त अनवरत चलता रहेगा।