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गांव वाले बोले, माओवादी आए थे खाना मांगने, जब पुलिस पहुंची तफ्तीश करने तो सामने आए चौका देने वाले नतीजे

locationबिलासपुरPublished: May 27, 2019 11:13:43 am

Submitted by:

Amil Shrivas

पड़ोसी जिले के गांव में माओवादी आमद: चिल्फी चौकी से 7 किमी दूरी पर स्थित है समनापुर गांव

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गांव वाले बोले, माओवादी आए थे खाना मांगने, जब पुलिस पहुंची तफ्तीश करने तो सामने आए चौका देने वाले नतीजे

बिलासपुर/लोरमी. लोरमी क्षेत्र के चिल्फी चौकी से महज 7 किमी दूर पड़ोसी जिले कबीरधाम के ग्राम समनापुर में शनिवार रात माओवादियों के पहुंचने से ग्रामीण दहशत में आ गए। रात ९ बजे वर्दी और हथियार बंद ८ माओवादियों ने डरा धमकाकर ग्रामीणों से भोजन मांगा। रात डेढ़ बजे तक वापस आने की बात कहकर माओवादी निकल गए। ग्रामीणों ने सूचना पंडरिया पुलिस को सूचना दी। देर रात पुलिस ने समनापुर के गांव में घेराबंदी करने के बाद जंगल में रात भर और रविवार को दिनभर सर्चिंग की, लेकिन पुलिस को माओवादी नहीं मिले।
मिली जानकारी के अनुसार पंडरिया थाना से 15 किमी दूर ग्राम समनापुर स्थित है। समनापुर गांव लोरमी जिला अंतर्गत चिल्फी पुलिस चौकी से ७ किलो मीटर दूरी पर स्थित है। जंगलों से घिरे गांव में शनिवार रात करीब ९ बजे गांव के नल के पास ८ वर्दी और हथियार से लैस माओवादी पहुंचे। माओवादियों ने ग्रामीणों से भोजन मांगा और रात डेढ़ बजे तक आने की बात कहकर चले गए। माओवादियों को देखने के बाद डरे सहमे ग्रामीण घर में घुसकर दरवाजा बंद लिया। करीब १ घंटे के बाद ग्रामीण घर से बाहर निकले और दूसरे ग्रामीणों को घटना की जानकारी दी। माओवादियों के गांव में पहुंचने की खबर से ग्रामीण दहशत में आ गए।
ग्रामीणों ने घटना की जानकारी पंडरिया पुलिस को दी गई। माओवादियों की आदम की खबर से पुलिस के कान खड़े हो गए। पंडरिया टीआई , एसडीओपी और एसपी समनापुर गांव पहुंचे और चारो ओर से गांव की घेराबंदी कराई। गांव के सभी घरों की तलाशी ली गई। गांव के युवको ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि माओवादी वर्दी और बंदूक के साथ पहुंचे थे। लाल रंग की शर्ट, काली पैंट और काले रंग के जूते सभी माओवादी पहने हुए थे। पुलिस ने समनापुर के आसपास के जंगलों में रातभर सर्चिंग की। इसके बाद रविवार को भी पुलिस कर्मियों ने जंगल में माओवादियों की तलाश की, लेकिन पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा। वहीं पुलिस माना कि माओदविायों की आमद दरफ्त समनापुर से ५०किलो मीटर दूर है। वहां से समनापुर आने में उन्हें ५ दिन लग सकते है। एेसे में माओवादी जंगल के बीच के गांव की बजाए , पहाडि़यों पर स्थित गांव में भी खाना मांगने जा सकते थे। पुलिस ग्रामीणों की बातों को गंभरता से लेते हुए जांच कर
रही है।
घटना के दूसरे दिन भी लगातार सर्चिंग होता रहा कुछ भी हाथ नही लगा है। साथ पुलिस ने बताया कि नक्सलियों की मूवमेंट समनापुर से 50 किमी दूरी पर है यहां तक आने के लिए 5 दिन का समय लगेगा और भी नक्सलियों को खाना चाहिऐ तो पहाड़ी गांवो में मांगते यहां क्यों आते, हालाकि ग्रामीणो की बात पर भी पुलिस विश्वास कर रही है।
जंगल से जुड़े एरिया से बीच-बीच में आती हैं आमद की खबरें
जिस गांव पर नक्सली खाना मांगने के लिए आऐ थे उस गांव के जंगल और खुडिय़ा क्षेत्र के जंगल जुड़े हुये है। बीच-बीच में लगातार खबरे आती रहती है कि खुडिय़ा के जंगलो में नक्सली आमद देते है, हालाकि कोई अधिकारी पुष्टि नही हुई है, लेकिन वनविभाग और ग्रामीणो की माने तो वे बाते भी सही है। जानकारी मिली है कि पंडरिया पुलिस की स्पेशल पुलिस औरापानी के आसपास के जंगलो में भी सर्चिंग किऐ है, इधर लोरमी पुलिस घटना से अंजान बनी हुई है। और न तो इस प्रकार के घटना से सतर्क है और न ही कभी सर्चिंग कराये है।
दोबारा खाना खाने पहुंचे माओवादियों को ग्रामीणों ने घेरा
ग्रामीणों के अनुसार रात में माओवादी दोबारा खाना मांगने के लिए गांव पहुंचे थे। ग्रामीण पूरा सजगता के साथ नक्सलियों को पकडऩे की योजना बनाई थी। , नक्सली तय समय एक घण्टा पहले गांव पहुंचे थे। वहीं पुलिस भी गांव के आसपास पहुंची थी। दोनों मोर्चा संभालने की तैयारी में थे, लेकिन पुलिस ने ग्रामीणों को भागने की वार्निंग देते ही माओवादियों को भनक लग गई और वे खतरा होने का आभास होने पर भाग निकले।
सिंघलदायी गुफा है माओवादियों के लिए सुरक्षित जगह
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पंडरिया क्षेत्र के सिंघलदायी नामक गुफा भीषण आकार का पहाड़ी से घिरा है। यहां माओवादियों के रूककर कई दिनों तक रहते ग्रामीणों ने कई बार देखा है। घनघोर जंगल से घिरी गुफा में पुलिस को पहुंचने में समय लगता है। कभी पुलिस वहां तक पहुंच भी जाए तो माओवादी जंगल के रास्त भाग निकलते है।
एटीआर में भी होती रही है हलचल, माओवादियों ने छपरवा में धमकाया था रेंजर को
अचानकमार टाईगर रिजर्व के जंगल भीषण घनघोर तथा मानव रहित जंगल है। यहां लगातार माओवादियोंं की आमद की खबरें आती रहती है। टंगली पठार माओवादियों के रुकने और विश्राम करने का प्रमुख जगह माना जाता है। लगातार एटीआर के विभिन्न हिस्सों में बीच-बीच में आमद की खबरे आती रहती है। वर्ष 2017 में छपरवा में माओवादी बड़ी संख्या में पहुंचकर खूब तांडव मचाये थे। साथ ही रेंजर के दरवाजे को तोडक़र उन्हें खूब धमकाया गया था। इसके बाद लोरमी के तत्कालीन एसडीओपी साबित लाल चौहान संवेदनशील जगह पर फोर्स के साथ पहुंचे थे, उन्होंने कबूल किया था कि मओवादियों की गतिविधि है। वहीं 2017 में एटीआर में लगे ट्रैप कैमरा में मओवादियों की फोटो कैप्चर हुई थी।
पहले भी हो चुकी है कई बार सर्चिंग
अविभाजित मुंगेली जिले से से लगे जंगल में माओवादियों के कई पहुंचने के कई मामले सामने आ चुके हैं। जिले के गौरेला थानांतर्गत आमादांड और आसपास के क्षेत्र समेत पेण्ड्रा, मरवाही , लोरमी के सुरही ,बोकराकछार समेत कई जंगल के रेंज में माओवादियों के आमद की खबरें सामने आ चुकी है। पुलिस ने पूरे जंगल में कई बार सर्चिंग भी कर चुकी है।
ग्रामीणों से सूचना मिली कि एक व्यक्ति गांव पहुंच कर 8-10 लोगों के लिए खाना की व्यवस्था के लिए बोला। नक्सली हो सकता की सूचना मिली। नक्सली की सम्भावना को देखते हुए डीआरजी और पुलिस के जवानों को सर्चिंग के लिए भेज गया। पहाड़ी एरिया का सर्चिंग किए, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।
डॉ. लाल उमेंद सिंह, पुलिस अधीक्षक, कबीरधाम
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