प्रकरण दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा का है। सौतेले पिता ने अपनी 14 वर्ष की सौतेली बेटी से कई बार जबरन शारीरिक संबन्ध बनाए। इससे वह गर्भवती हो गई। गर्भ ठहरने से पीड़िता का स्वास्थ्य खराब होने पर उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया। जांच में उसके गर्भवती होने की जानकारी मिली।
स्वयं को बचाने सौतेले पिता ने एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ दुष्कर्म की रिपोर्ट लिखाई थी। नाबालिग अविवाहित लड़की के गर्भवती होने की सूचना पुलिस व बाल कल्याण समिति को दी गई। पीड़िता ने पुलिस व समिति के सदस्यों के सामने सौतेले पिता से संबंध होने की बात कही। इसके बाद भी परिवार के अंदर हुए अपराध पर उसके कथन को विश्वसनीय नहीं पाया गया। वही पीड़िता की मां ने भी लड़की के बयान को गलत बताया।
पुलिस ने डीएनए टेस्ट और रक्त नमूना लेकर एफएसएल जांच कराई। जांच रिपोर्ट में सौतेले पिता को ही बच्चे का जैविक पिता पाया गया। न्यायालय ने आरोपी की अपराध में संलिप्तता पाई। डीएनए और एफएसएल रिपोर्ट को महत्वपूर्ण साक्ष्य मानते हुए आरोपी को जिला न्यायालय ने पॉक्सो एक्ट और अन्य धाराओं में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सजा के खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील प्रस्तुत की थी। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डीबी ने आरोपी की अपील को खारिज कर दिया।