विदित हो कि ट्रेनों को लम्बे समय से प्राइवेट हाथों में सौपने की बात सामने आती रही है। आने वाले दिनों में भारतीय रेलवे ट्रेनों के साथ ही रेल कारखाने व पहिए बनाने की फैक्टरी को भी प्राइवेटाईज करने की दिशा में काम कर रहा है। अधिकारियों का कहना है कि प्रायोगिक चरण में दोनों ट्रेनों को आईआरसीटीसी संचालित करेगी। रेलवे इससे यह परखेगा कि ट्रेन चलाने के दौरान रेलवे ने ट्रेनों को फायदे में चलाया है या फिर घाटे में। रेलवे की माने तो सवारी ट्रेनों से उसे लाभ केवल नामिनल ही होता है जब्कि परेशानी बहुंत ज्यादा है। प्राइवेट हाथों में ट्रेनों की कमान सौपने का सबसे बड़ा फायदा रेलवे के आय में वृद्धी के साथ ही सुविधा बढ़ाना है।
अधिकारियों का कहना है कि ट्रेनों को निजी हाथ में सौंपने से यात्री सुविधा में बढ़ोत्तरी तो होगी ही साथ ही खाने-पीने की समाग्रियों में भी गुणवक्ता आएगी। इसके अलावा चोरी व अन्य अपराधिक वारदातों को लगाम लगने की संभावना होगी। वही ट्रेनों में स्वास्थ्य सुविधा भी मुहैया होने की संभावना है।
अभी सुगबुगाहट
हलांकि पूरी प्रक्रिया को कैसी पूर्ण किया जाएगा इसकी ज्यादा जानकारी अधिकारी नहीं दे पा रहे हैं। उनका कहना है कि ये अभी प्रारंभिक चरण में है ऐसे में मंडल के निर्देश का इंतजार है। इसके बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी।
जो बात छनकर सामने आ रही है उसके अनुसार कयास है कि जनशताब्दी, दुरंतो और राजधानी के बीच से ही दो ट्रेन को निजी हाथों में सौंपा जा सकता है। तर्क यह है कि इन ट्रेनों में किराया अन्य ट्रेनों की अपेक्षा शुरू से ही ज्यादा है। ऐसे में कहा यह जाता है कि इन ट्रेनों का परिचालन क्लास बेस्ट पैसेंजर के लिए ही किया जाता है जो अधिक किराया देकर यात्रा करते हैं। ऐसे में यदि इन ट्रेनों से शुरुआत की जाती है तो ज्यादा विशेष फर्क आम लोगों को नहीं पड़ेगा।
भारतीय रेलवे ने ट्रेनों के साथ ही रेलवे ने आने वाले दिनों में चितरंजन लोको मोटिव वक्र्स, डीजल रेल कारखाना वाराणसी, डीजल लोको निमार्ण पटियाल, रेलवे पहिए बनाने वाली फैक्टरी बौंगलोर रेल कोच कारखाना कपूरथला को भी प्राइवटाइज्ड करने की दिशा में योजना तैयार कर रहा है।
रेलवे ने अपनी नीति में बदलाव करते हुए कई छोटे-छोटे कार्यो को प्राइवेट हाथों में सौंप दिया। प्राइवेटाइजेशन से रेलवे के मजदूरों का काफी नुकसान हुआ है। आने वाले दिनों में अगर रेलवे ट्रेनों व कारखानों को भी प्राइवेट हाथों में देने काम करेगा तो हम इसका पुरजोर विरोध करेंगे। भारतीय मजदूर संघ रेलवे के ऐसी योजना की निंदा करती है। भारतीय मजदूर संघ अगर चुनाव जीतकर आता है तो सबसे पहला काम प्राइवेटाईजेश को बंद करना प्राथमिकता होगी।
निमई बेनर्जी, भारतीय मजदूर संघ
रविश कुमार, सीपीआरओ एसईसीआर