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CG Election 2018: हाथ और हाथी बनेंगे साथी, छह सीटों की पालकी बसपा के हवाले

locationबिलासपुरPublished: Sep 16, 2018 06:49:46 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी में गठबंधन की कोशिशों में सीटों की अड़चन लगभग खत्म हो गई है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने बसपा को विधानसभा की छह सीटें देने की बात औपचारिक रूप से मान ली है।

MP BSP strong of 75 seats in vindhya region

MP BSP strong of 75 seats in vindhya region

बरुण सखाजी/बिलासपुर. कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी में गठबंधन की कोशिशों में सीटों की अड़चन लगभग खत्म हो गई है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने बसपा को विधानसभा की छह सीटें देने की बात औपचारिक रूप से मान ली है। यह गठबंधन केंद्रीय राजनीति की पृष्ठभूमि में हुआ है, ऐसे में बसपा का जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट पर भी दावा बना हुआ है। इस संबंध में दोनों दलों के केंद्रीय नेतृत्व के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है।
गठबंधन की औपचारिक घोषणा विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम जारी होने के साथ ही होगी। बसपा ने कांग्रेस से सारंगढ़, बेलतरा, तखतपुर, नवागढ़, गुंडरदेही, आरंग, पामगढ़, अकलतरा, चंद्रपुर, बिलाईगढ़, कसडोल, जांजगीर, जैजैपुर मांगी हैं। लेकनि जिन छह सीटों पर सहमति बनी है, उसमें पामगढ़, सारंगढ़, जैजैपुर, चंद्रपुर, आरंग और अहिवारा अथवा नवागढ़ में से कोई एक सीट शामिल है। कांग्रेस मानती है कि अजीत जोगी अनुसूचित जाति के वोटों में सेंधमारी कर रहे हैं। बसपा के अलग होने से इन वोटों को जोगी और बसपा दोनों मिलकर अधिक काटने में सक्षम हैं। इसलिए कांग्रेस नहीं चाहती कि बसपा अलग चुनाव लड़े।

प्रदेश में बसपा ही है जोगी का काट
बसपा ने 2003 में 54 सीटों पर चुनाव लड़कर 4.5 फीसदी मत हासिल किए थे। 2008 में यह मतों का प्रतिशत 6 तक पहुंचा और 2 सीटें मिलीं। 2013 में पार्टी का मतप्रतिशत घटकर फिर 4.5 फीसदी पर आ थमा। वहीं पार्टी ने 2003 से 2013 तक के हर चुनाव में 10 हजार से अधिक मत हासिल करने वाली सीटों की संख्या लगातार 14 रखी है। जबकि 5 से 10 हजार मतों के बीच वाली सीटों की संख्या 2003 में 8 थी तो 2008 में यह बढ़कर 14 पर पहुंच गई, लेकिन 2013 में यह एकदम से घटकर सिर्फ 2 रह गई।

बसपा ने ऐसी सीटों में इजाफा किया है, जहां पार्टी को 2 से 5 हजार तक वोट मिले हों। इनकी संख्या 2003 में 21, 2008 में 42 और 2013 में 43 पर आ पहुंची। ऐसा ही बसपा ने अपना जनाधार 2 हजार तक मत हासिल करने वाली सीटों में बढ़ाया। यह संख्या साल 2003 और 2008 में जहां 10 थी तो वहीं साल 2013 में यह एकदम से बढ़कर 31 पर पहुंच गई। बसपा ने 20 हजार से अधिक मतों वाली सीटों की संख्या 2003 में 7, साल 2008 में 9 और साल 2013 में 8 तक कायम रखी है।

13 सीटों से शुरू हुई थी बात
शुरुआत में बसपा ने अपने 2008 के प्रदर्शन को आधार बनाकर कांग्रेस से बात शुरू की। इस साल पार्टी ने 10 हजार से ऊपर मत वाली सीटों की संख्या 14 की और इसे अब तक बरकरार रखा है। वहीं इनमें से 3 सीटें जीती। 2 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही तो 3 सीटों पर उसने तीसरा स्थान पक्का किया। पार्टी को लगता है कि उसे 13 सीटें मिलनी चाहिए।

कांग्रेस प्रवक्ता अभय नारायण राय ने कहा कि ऊपर बात चल रही है। जमीनी कार्यकर्ताओं का ख्याल रखकर ही कोई फैसला लिया जाएगा।

बसपा प्रदेश प्रभारी एम.एल. भारती ने कहा कि हमें मैदानी स्तर पर सक्रिय रहने के निर्देश मिले हैं। सबका मकसद भाजपा को हराना है।
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