scriptVIDEO : ओलम्पिक में खेलने नहीं, मेडल जीतने जाते हैं खिलाड़ी : पहलवान सुशील कुमार | Wrestler sushil kumar interview | Patrika News

VIDEO : ओलम्पिक में खेलने नहीं, मेडल जीतने जाते हैं खिलाड़ी : पहलवान सुशील कुमार

locationबीकानेरPublished: Sep 09, 2018 09:54:51 am

Submitted by:

dinesh kumar swami

साल २००८ के ओलंपिक के बाद देश में खेलों में नई क्रांति आई है। इसके बाद हमारे देश के बच्चे मेहनत करने लगे हैं। देश के खिलाड़ी ओलंपिक व एशियाई खेलों में खेलने नहीं, मेडल जीतने जाते है।

Wrestler sushil kumar

Wrestler sushil kumar

बीकानेर . साल २००८ के ओलंपिक के बाद देश में खेलों में नई क्रांति आई है। इसके बाद हमारे देश के बच्चे मेहनत करने लगे हैं। देश के खिलाड़ी ओलंपिक व एशियाई खेलों में खेलने नहीं, मेडल जीतने जाते है। यह बात शनिवार को बीकानेर आए ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार ने राजस्थान पत्रिका से विशेष ेबातचीत में कही।
सुशील ने कहा कि हमारे देश में अखाड़े कभी बंद नहीं हुए। कुश्ती को लेकर हरियाणा, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र में काफी जागरूकता आई और बच्चे-बच्चियां कुश्ती सीख रहे हैं। इससे देश के खिलाड़ी कुश्ती में ज्यादा मेडल ला सकेंगे। सुशील ने कहा कि कुश्ती में अभ्यास बहुत जरूरी है, अगर एक दिन भी अभ्यास नहीं किया तो काफी पीछे चले जाते है। उन्होंने कहा कि बीकानेर में चन्द्रप्रकाश गहलोत के गुरु हनुमान व्यायामशाला चला रहे है। जिले व कस्बों में इस तरह की सुविधाएं होंगी तो खेल का स्तर ऊपर उठ जाएगा। बीकानेर से भी मेडलिस्ट बच्चे निकलकर आएंगे।
सुशील जीतेंगे गोल्ड मेडल
द्रोणाचार्य गुरु महासिंह राव ने बताया कि सुशील का लक्ष्य अभी ओलंपिक-२०२० है। उम्मीद है कि वे ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतेंगे। सुशील व सीनियर पहलवानों को देखकर दूसरी टीमों के बच्चे भी कुश्ती के अभ्यास में जुटे हुए हैं। इस बार ओलंपिक में अधिक मेडल आएंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार का ‘खेलो इंडियाÓ अभियान कारगर साबित होगा। इससे ओलंपिक-२०२४, २०२८ में सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। केन्द्र सरकार व कोच तालमेल से काम करेंगे तो परिणाम मिलेंगे। अर्जुन अवॉर्डी अंतरराष्ट्रीय पहलवान राजीव तोमर ने बताया कि फिट रहने के लिए व्यायाम और दिनचर्या में बदलाव जरूरी है।

अभिभावक बच्चियों को कुश्ती सिखाएं
जब देश में कोई मेडल नहीं आ रहा था तो देश की बेटियां साक्षी मलिक व पीवी सिंधु ने देश को मेडल दिलाए। वे अभिभावकों से कहना चाहते हैं कि बेटियां किसी से कम नहीं हैं। वे खेल के माध्यम से देश की सेवा कर सकती हैं। अभिभावक बच्चियों को खेल के लिए प्रेरित करें और कुश्ती भी सिखाएं।
पहले देश के लिए मेडल
कुश्ती पर बन रही फिल्मों व बायोपिक के सवाल पर सुशील ने कहा कि अभी देशवासियों ने उन्हें एक काम दिया है, वह है कुश्ती करो और मेडल जीतो। गोल्ड मेडल लाने के बाद इसके बारे में सोचेंगे। डोपिंग के सवाल पर उन्होंने कहा कि डोपिंग विश्व में कहीं नहीं चलती है। नाडा टीम सब पर नजर रखती है और कभी भी जांच कर सकती है। खिलाड़ी इन चीजों से बचें।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो