भारतीय वायु सेना ने इस जटिल अभ्यास के लिए मैकेनाइज्ड प्लेटफार्म (बीएमपी) को विमान से जमीन तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा था। इसे एयरड्रॉप करने के लिए जिस वी आकार के 32 फीट लम्बे प्लेटफार्म को काम में लिया गया, वह भारत में निर्मित है। इसका परीक्षण भी सफलतापूर्वक साथ में कर लिया गया। इसमें 6 विशेष प्रकार के एयर बैग का उपयोग किया गया।
सैन्य लड़ाकू क्षमता बढ़ी
सैन्य सूत्रों के मुताबिक, भारतीय सेना और हवाई डिलिवरी एवं विकास प्रतिष्ठान (एडीआरडीई) ने सैन्य लड़ाकू क्षमता बढ़ाने के लिए यह संयुक्त परीक्षण किया। वायु सेना के सी-17 विमान ने महाजन के धोरों के बीच बनाए ड्रॉप जोन में बीएमपी (भारी मशीन) की डिलिवरी दी। इसके माध्यम से सेना ने हवाई गतिशीलता बेड़े की परिचालन क्षमता की ताकत को भी दुनिया के सामने प्रदर्शित किया।
एयरड्रोप की जरूरत इसलिए…
युद्ध के दौरान सेना के सामने पहाड़ी या रेगिस्तानी दुर्गम स्थल पर सैनिकों तक भारी सैन्य उपकरण आदि पहुंचाने की चुनौती होती है। ऐसे में वायु सेना के विमान की मदद से भारी उपकरणों आदि को एयरड्रॉप करने का विकल्प चुना जाता है। विमान से सीधे जमीन पर सामान गिराने पर उसके क्षतिग्रस्त होने, दुश्मन के हाथ लगने और सटीक लक्ष्य पर नहीं पहुंचने का खतरा रहता है। ऐसे में एयरड्रॉप तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।