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बीकानेर

राजस्थान का रण : जन-मन नायक – अस्पताल में चिकित्सक नहीं, बस अड्डे पर नहीं दिखती बसें

बीकानेर . दोपहर के करीब डेढ़ बजे हैं। लूणकरनसर विधानसभा क्षेत्र मौजूदा विधायक और उनके सामने चुनाव लड़कर दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे भाजपा-कांग्रेस प्रत्याशियों की पांच साल में सक्रियता जनता के मुद्दे और क्षेत्र की चुनावी नब्ज टटौलने लूणकरनसर पहुंचा। शहर के बीच गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग की नई बनी सड़क और उससे सटी खारे पानी झील। झील अंतिम सांसे गिन रही है। थोड़ा-बहुत पानी जमा दिखा वहां कुरंजा के झुण्ड पख मारते दिखे। बदहाल झील इलाके की राजनीतिक और प्रशासनिक अनदेखी की कहानी बयां करती दिखी।

बीकानेरNov 12, 2018 / 04:08 pm

जय कुमार भाटी

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जय भगवान उपाध्याय
बीकानेर . दोपहर के करीब डेढ़ बजे हैं। लूणकरनसर विधानसभा क्षेत्र मौजूदा विधायक और उनके सामने चुनाव लड़कर दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे भाजपा-कांग्रेस प्रत्याशियों की पांच साल में सक्रियता जनता के मुद्दे और क्षेत्र की चुनावी नब्ज टटौलने लूणकरनसर पहुंचा। शहर के बीच गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग की नई बनी सड़क और उससे सटी खारे पानी झील। झील अंतिम सांसे गिन रही है। थोड़ा-बहुत पानी जमा दिखा वहां कुरंजा के झुण्ड पख मारते दिखे। बदहाल झील इलाके की राजनीतिक और प्रशासनिक अनदेखी की कहानी बयां करती दिखी।
हाइवे पर बने चाय के ढाबे पर चुनावी बात शुरू की तो भंवरलाल बोले कई दिनों तक धूल और कंकर झेलने के बाद यह सड़क बनी है। बस यही हुआ पांच साल में। हाइवे के किनारे रोडवेज और निजी बसों के आकर रूकने के सवाल पर जवाब मिला बस स्टैण्ड की हालत देखिए। सवारी तो क्या जानवर भी वहां नहीं जाते। कुछ महीने पहले तक बस स्टैण्ड पर रोडवेज की बसें खड़ी होती थी, सवारी नहीं मिलती थी इसलिए वहां जाना बंद कर दिया। अब बस स्टैण्ड पर पहाड़ी कीकरों के कांटें फैले मिलेंगे। पांच साल पहले तक लूणकरनसर के कांग्रेस नेता वीरेन्द्र बेनीवाल गृह एवं परिवहन राज्यमंत्री रहे। उनके कार्यकाल में बस स्टैण्ड पर बसें रूकती थी लेकिन साधन, सुविधाओं के अभाव में गत पांच साल में अब बस स्टैण्ड पर बसें नहीं दिखती।
अस्पताल खुद ही बीमार
लूणकरनसर बाजार से होकर सरकारी अस्पताल पहुंचे तो पता चला तीन लाख की आबादी वाले इस क्षेत्र के अस्पताल में महिला प्रसव तक की कोई सुविधा नहीं है। चिकित्सकों के पद रिक्त पड़े है। दवा लेने की कतार में खड़े मिले गोपीराम ने बताया कि मरीजों को बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में रैफर करने का सेंटर तक बनकर रह गया है अस्पताल। चिकित्सक जो दवा लिखते है, उनमें से अधिकांश निशुल्क दवा काउंटर पर नहीं मिलती। बारह चिकित्सकों में से ५ ही कार्यरत है। नर्सिंग के आधे पद रिक्त पड़े है।
बिजली और पानी बड़ा मुद्दा
अस्पताल से निकलकर बाजार में आगे बढ़े तो ग्रामीण श्रवण जाखड़ मिले। इलाके की समस्याओं का पूछने पर वे बोले पीने के पानी की परेशानी है। बिजली कट की समस्या, बिजली बिलों में गड़बड़ी की परेशानी आम है। इन पर अधिकारी और जनप्रतिनिधि दोनों ही ध्यान नहीं दे रहे हैं। एक दुकान पर बैठे मिले अयूब खान ने बताया कि खेती-बाड़ी का काम कर परिवार पाल रहे है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों की अनेदखी के चलते विकास में इलाका पिछड़ गया। उनके पास बैठे गफूर खान ने कहा कि क्षेत्र में बरसाती पानी की कोई निकासी नहीं है। बरसात के दिनों में यहां का मुख्य बाजार जलमग्न हो जाता है। सीवरेज कुछ स्थानों पर अब डाली जा रही है, लेकिन उसकी गुणवत्ता को लेकर कई बार सवाल उठाए जा चुके हैं। जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते यहां का प्रशासनिक ढांचा भी बिगड़ा हुआ है। मुख्य बाजार में सीसी सड़कें बनी है, लेकिन, शेष क्षेत्र डामर की सड़कों से ही वंचित है। क्षेत्र की अनेदखी की बातें सुनकर युवक मोहन बोला, रात के आठ बजे शराब बिक्री पर कोई अंकुश नहीं है।
जनप्रतिनिधि दिखाई तो दिए, लेकिन काम नहीं
क्षेत्र के लोगों से जब वर्तमान विधायक मानिक चंद सुराणा और पूर्व विधायक वीरेन्द्र बेनीवाल और भाजपा के प्रत्याशी रहे सुमित गोदारा की सक्रियता के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि बीते पांच साल में नेता जनता के बीच तो रहे, लेकिन आमजन की समस्याओं को दूर करने के लिए ठोस प्रयास नहीं किए। सुराणा जहां वर्तमान में जयपुर निवास कर रहे हैं, वहीं पूर्व विधायक वीरेन्द्र बेनीवाल का निवास बीकानेर में है। हालांकि चुनावी गतिविधियां शुरू होने के बाद दोनों की सक्रियता पहले से ज्यादा दिखाई दे रही है। चक २८० के लोगों की समस्याओं पर इशारा करते हुए एक वृद्ध मांगी लाल ने कहा कि यहां आज भी टैंकरों के माध्यम से पानी पहुंचाया जाता है।
दावे अपने-अपने
कभी नहीं हुआ इतना विकास
क्षेत्र के विकास को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ी। जिनता कार्य मेरे कार्यकाल में हुआ, किसी भी विधायक और सरकार के कार्यकाल में नहीं हुआ। क्षेत्र में पीने के पानी को लेकर ८० योजनाएं बनी। विधायक कोटे से ३५ ट्यूबवैल तैयार करवाए गए। अस्पताल में चिकित्सकों की कमी को लेकर लगातार आवाज उठाई।
मानिकचंद सुराणा, विधायक लूणकरनसर
विकास होता तो दिखता
क्षेत्र में विकास होता तो दिखाई देता। लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। सरकारी अस्पताल की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। रोडवेज बस स्टैण्ड के खस्ता हाल है। बिजली कटौती से जनता परेशान है। कांग्रेस कार्यकाल में जिन योजनाओं को स्वीकृत किया गया, उनकी तरफ देखा तक नहीं गया।
वीरेन्द्र बेनीवाल, विधानसभा चुनाव २०१३ के कांग्रेस प्रत्याशी
विकास कार्यों के लिए सक्रिय रहा
गत पांच वर्ष में क्षेत्र में शिक्षा, सड़क और चिकित्सा सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं और विकास कार्यों के लिए सक्रिय रहा। मुख्यमंत्री और संबंधित मंत्रियों से मुलाकात कर बजट स्वीकृत कराए। हारने के बाद एक भी दिन घर नहीं बैठा, जनता के बीच रहा और उनके दु:ख-दर्द में साथ रहा।
सुमित गोदारा, विधानसभा चुनाव २०१३ के भाजपा प्रत्याशी

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