रहते है निशाने पर ‘टप्पाÓ गीतों में महिलाओं के निशाने पर सगा और सगी रहते है। वे उनके हाव-भाव, चुप रहने, अधिक बोलने, बिना पाग के सगे, महिलाओं की अधिक मनुहार करने वाले सगे, व्यवस्था में कमी आदि पर हास्य-व्यंग्य के माध्यम से गीतों का गायन करती है। ‘टप्पा Ó गीत ‘छान हाले छपरो हाले, झूंपड़ो भी हाले रे सगाजी वाली ने कडाकंद भावे ओ घर कोकर हाले Ó, ‘ काच री कतरनी जीभ रो लेखो, परमेश्वर आगे लेखो Ó, ‘ छमक कटोरी छमक चणा, सगेजी रे घर में पंच घणा Ó, ‘सग्यो आयो बारणे थे माथै धरलो पाग Ó , ‘ लाजो मरु ओ सगोजी थोरो उगाड़ो माथो Ó, ‘ बोलयो रे बोलयो गाळयो रे कारण बोलयो Ó, ‘इणगी जोऊ बणगी जोऊ सगोजी कठै ना दीखे रे Ó तथा ‘और बात री रेल पेल पोंणी री सकड़ाई रे Ó सहित कई टप्पा गीतों के माध्यम से हास्य-व्यंग्य की स्थितियां बनती है।