script

पुष्करणा सावा- छमक कटोरी छमक चणा, सगेजी रे घर में पंच घणा

locationबीकानेरPublished: Feb 15, 2019 08:50:13 pm

Submitted by:

dinesh kumar swami

सगा-सगी के टप्पा : गीतों से हो रही हंसी-ठिठोली
सगा-सगी पर हास्य-व्यंग्य

puskarna sava 2019

पुष्करणा सावा- छमक कटोरी छमक चणा, सगेजी रे घर में पंच घणा

बीकानेर. मांगलिक गीत पुष्करणा सावे की विशेष पहचान है। मांगलिक परम्पराओं के दौरान गाए जाने वाले गीतों की मिठास और उनके बोल आमजन के तन-मन में रचे-बसे हुए है। विवाह और यज्ञोपवित संस्कार के हंसी-खुशी के माहौल में गाए जाने वाले ‘टप्पाÓ गीत हंसी- ठिठोली के साथ दो परिवारों के मधुर संबंधों को और प्रगाढ़ता प्रदान करते है। महिलाएं विभिन्न रस्मों के दौरान सगे-संबंधियों के घर-भवन के बाहर और घर में इन गीतों को गाती है। वर-वधु पक्ष और सगे-संबंधियों की महिलाएं विभिन्न मांगलिक कार्यक्रमों और रस्मों के दौरान ‘टप्पाÓ गीतों के माध्यम से न केवल अपनी हाजिरी जवाबी को प्रकट करती है, वहीं सगे-सगी पर हास्य-व्यंग्य भी करती है। संबंधों की मधुर मिठास और स्नेह भी इन गीतों के माध्यम से झलकती है। सावे की विभिन्न रस्मों के दौरान पारम्परिक गीतों के साथ ‘टप्पाÓ गीतों को विशेष रूप से गाया जाता है।
रहते है निशाने पर

‘टप्पाÓ गीतों में महिलाओं के निशाने पर सगा और सगी रहते है। वे उनके हाव-भाव, चुप रहने, अधिक बोलने, बिना पाग के सगे, महिलाओं की अधिक मनुहार करने वाले सगे, व्यवस्था में कमी आदि पर हास्य-व्यंग्य के माध्यम से गीतों का गायन करती है। ‘टप्पा Ó गीत ‘छान हाले छपरो हाले, झूंपड़ो भी हाले रे सगाजी वाली ने कडाकंद भावे ओ घर कोकर हाले Ó, ‘ काच री कतरनी जीभ रो लेखो, परमेश्वर आगे लेखो Ó, ‘ छमक कटोरी छमक चणा, सगेजी रे घर में पंच घणा Ó, ‘सग्यो आयो बारणे थे माथै धरलो पाग Ó , ‘ लाजो मरु ओ सगोजी थोरो उगाड़ो माथो Ó, ‘ बोलयो रे बोलयो गाळयो रे कारण बोलयो Ó, ‘इणगी जोऊ बणगी जोऊ सगोजी कठै ना दीखे रे Ó तथा ‘और बात री रेल पेल पोंणी री सकड़ाई रे Ó सहित कई टप्पा गीतों के माध्यम से हास्य-व्यंग्य की स्थितियां बनती है।

ट्रेंडिंग वीडियो