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बीकानेर

संवर रही जिंदगिया: जेल की कोठरी में शिक्षा का उजाला

बीकानेर केन्द्रीय कारागार में बंद सजायाफ्ता बंदी अपने जीवन के अंधेरे को शिक्षा की रोशनी से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। अपराधियों के भविष्य को संवारने के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के तहत शिक्षा कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

बीकानेरApr 25, 2024 / 11:02 am

Jai Prakash Gahlot

बीकानेर केन्‍द्रीय कारागार में बंदी कम्‍प्‍यूटर पर काम करते हुए

जयप्रकाश गहलोत/ बीकानेर. बीकानेर केन्द्रीय कारागार में बंद सजायाफ्ता बंदी अपने जीवन के अंधेरे को शिक्षा की रोशनी से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। अपराधियों के भविष्य को संवारने के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के तहत शिक्षा कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य यहहै कि अपराधी जेल में बिताए समय का सदुपयोग कर सकें। वर्तमान में 60 बंदी अध्ययनरत हैं। इनमें एक बंदी ऐसा भी है, जो साइबर लॉ में डिप्लोमा हासिल कर चुका है। अब वह दूसरे बंदियों को पढ़ा रहा है। प्रदेश में बंदियों को शिक्षित करने के मामले में जोधपुर जोन में बीकानेर की स्थिति बेहतर बताई जा रही है। जेल में इग्नू के सेंटर में बंदियों के लिए 14 पाठयक्रम संचालित हैं।
जेल प्रशासन के मुताबिक वर्तमान में जेल में 60 बंदी अध्ययरनत हैं। उच्च शिक्षा में इग्नू सेंटर से 147 बंदियों के परीक्षा फॉर्म भरवाए गए हैं, जिनकी परीक्षा जून माह में होगी। इसके अलावा 117 बंदियों को इग्नू के विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए प्रेरित किया गया है। छह बंदियों ने स्नातक एवं पांच बंदियों ने स्नातकोत्तर में प्रवेश लिया है। बंदियों को कारापाल सूरज नारायण सोनी, रामनिवास, उप कारापाल जयसिंह, सुभाषचन्द्र, मुख्य प्रहरी गिर्राज प्रसाद एवं कारागार में निरुद्ध सजायाफ्ता बंदी उमेश शर्मा व जितेन्द्र कुमार अध्ययन करवा रहे हैं।

नौ साल में 495 तक पहुंचा आंकड़ा


जेल प्रबंधन के मुताबिक, वर्ष 2015 में इग्नू के माध्यम से बंदियों को शिक्षित करने की कवायद शुरू की गई थी। वर्ष 2019 तक 435 बंदियों ने डिप्लोमा व डिग्री प्राप्त कर ली थी। इसके बाद वर्ष 2020 में कोराेना के बाद से जेल में साक्षरता कार्यक्रम संचालित नहीं हुए। कुल मिला कर नौ साल में जेल में बंद करीब 495 बंदियों ने डिप्लोमा व डिग्री प्राप्त की है। इनमें बंदी सुमन सागर साइबर लॉ, पर्यटन में पीजी, समाजसेवा में पीजी, प्रबंधन में सर्टिफिकेट कोर्स, कॉपरेटिव लॉ में पीजी डिप्लोमा, पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिप्लोमा हासिल कर चुका है। बंदी नवनीत शर्मा ने एमबीए कर लिया है।


ये पाठ्यक्रम हैं संचालित

  • कला में स्नातक
  • कला में स्नातकोत्तर
  • पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा में डिप्लोमा
  • पर्यटन शिक्षा में प्रमाण-पत्र
  • एचआईवी और पारिवारिक शिक्षा में प्रमाण-पत्र
  • आपदा प्रबंधन में प्रमाण-पत्र
  • भोजन एवं पोषण में प्रमाण-पत्र
  • मानव अधिकार में प्रमाण-पत्र
  • ग्राम विकास में प्रमाण -पत्र
  • सूचना एवं प्रौद्योगिकी में प्रमाण-पत्र
  • गैर सरकारी संगठन में प्रमाण-पत्र
  • उपभोक्ता संरक्षण में प्रमाण-पत्र
  • पर्यटन अध्ययन में डिप्लोमा

बंदियों को किया जा रहा प्रोत्साहित

जेल में बंदियों को शिक्षित करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। विभिन्न पाठ्यक्रमों में सैकड़ों बंदियों ने प्रवेश लिया है, जो अब शिक्षित होकर अपने जीवन को सुधारने में लगे हैं। दो बंदी जेल में रहकर अन्य बंदियों को अध्ययन करवा रहे हैं। बंदियों को शिक्षित होने के लिए लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि वे सजा भुगतने के बाद यहां से जाकर अपने भविष्य को संवार सकें।
सुमन मालीवाल, जेल अधीक्षक

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