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सावधान! अगर आप डायबिटिज पीडि़त हैं तो सचेत हो जाएं… पढ़े पूरी खबर

locationबीकानेरPublished: Aug 08, 2018 10:17:50 am

Submitted by:

dinesh kumar swami

आनुवांशिक संरचना के कारण
सी-जेनेटिक में बहुरूपता से शुगर रोगियों में गुर्दा रोग का खतरा
पीबीएम में शुगर पीडि़त मरीजों पर हुए शोध में खुलासा

Diabetes patients

सावधान! अगर आप डायबिटिज पीडि़त हैं तो सचेत हो जाएं… पढ़े पूरी खबर

बीकानेर. सावधान! अगर आप डायबिटिज पीडि़त हैं तो सचेत हो जाएं। डायबिटिज की नियमित दवा लेने और शूगर कंट्रोल रहने के बावजूद कहीं आप गुर्दा रोग के शिकार तो नहीं हो रहे हैं। ऐसा हाल ही में पीबीएम अस्पताल के चिकित्सकों की ओर से किए गए शोध में पता चला है कि आनुवांशिक संरचना के कारण केसीएनक्यू-1 जीन की जेनेटिक तत्व में बहुरूपता पाई जाती है जो गुर्दों पर असर डालती है। पीबीएम अस्पताल में पिछले सालों की अपेक्षा गुर्दा रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्तमान में प्रतिमाह १००० मरीजों की डायलिसिस की जा रही है। ३० से ४० प्रतिशत लोगों में शूगर के कारण गुर्दा खराब होता है। बिगड़ी दिनचर्या भी सेहत को बिगाड़ रही है। पीबीएम में पहुंचने वाले ६० फीसदी मरीज शूगर के कारण गुर्दा खराब होने से पीडि़त है।
मेडिसिन विभाग के सहायक आचार्य डॉ. विनोद असवाल ने एसपी मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. आरपी अग्रवाल, प्रोफेसर डॉ. सुरेन्द्र कुमार वर्मा के नेतृत्व में शूगर के मरीजों पर शोध किया। यह शोध कार्य मार्च २०१५ से मार्च २०१६ तक चला। शोध का हाल ही में जनरल ऑफ एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडियन (जापी) में प्रकाशित हुआ है। ५०-५० मरीजों पर शोधशोधकर्ता डॉ. असवाल के मुताबिक शोध के लिए ५० डायबिटिक नेफ्रोपैथी और ५० मरीज विद्आउट नेफ्रोपैथी के शामिल किए गए। मरीजों के सैम्पलों की जांच हैदराबाद की बिट्स पिलानी इंस्टीट्यूट में करवाए गए। वे बताते हैं कि कई डायबिटिक रोगियों की अनुवांशिक संरचना में केसीएनक्यू-1 जीन की जेनेटिक तत्व की बहुरूपता पाई जाती है। ऐसे में उन डायबिटिक मरीजों में गुर्दा रोग का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है, जिनमें इस जीन के जेनेटिक तत्व की बहुरूपता पाई जाती है।
बच्चों में गुर्दे के प्रमुख रोग
बच्चों में क्रोनिक किडनी रोग जन्म दोष की वजह से हो सकता है। इसमें केवल एक गुर्दे के साथ या गुर्दे की असामान्य संरचनाओं के साथ पैदा बच्चों, वंशानुगत बीमारियां, संक्रमण, नेफ्रोटिक सिंड्रोम, पेशाब में रुकावट
या पथरी यह गुर्दा के प्रमुख रोग है।
बचाव के उपाय
गुर्दा रोग से बचने के लिए नियमित चिकित्सक से जांच, इलाज, शराब, धूम्रपान आदि से बचाव। शुद्ध शाकाहारी आहार, योग व व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करना।


फिलहाल ये हैं व्यवस्था
यूरो साइंसेज सेंटर में वर्तमान में २२ डायलिसिस मशीनों के जरीए प्रतिदिन ३० से ३५ मरीजों की डायलिसिस की जा रही है। इनमें हीमोडायलिसिस, पेरीटोनियल डायलिसिस, प्लाजा, गुर्दे की बॉयप्सी आदि सुविधा है। इसके अलावा सर्जीकल व मेडिकल सुविधा प्रतिदिन लगभग 50 से अधिक रोगियों को उपलब्ध करवाई जा रही है। आउटडोर में प्रतिदिन ८०-१०० मरीजों का की जांच होती है।

रोग के कारण
मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मदिरापान, धूम्रपान आदि।

भारत में सी और जापान में टी की बहुरूपता
डॉ. असवाल ने बताया कि भारत के डायबिटिक रोगियों में सी जेनेटिक तत्व और चाइना में टी जेनेटिक तत्व की बहुरूपता पाई गई है। जो भारत डायबिटिक रोगियों से अलग है। इन जीनों में भिन्नता का कारण जापान और भारत के वातावरण और अनुवांशिक संरचना में भिन्नता को माना जा सकता है।
शोध में नए जेनेटिक तत्व का पता चला है। इससे भविष्य में डायबिटिज के रोगियों में पहचान कर गुर्दा रोग की आशंका होने पर समय पर उचित उपचार किया जा सकेगा। इस विषय पर व्यापक शोध होना जरूरी है।
डॉ. आरपी अग्रवाल, प्राचार्य एसपी मेडिकल कॉलेज

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