संघर्ष कर पहुंचे बुलंदी पर
बीकानेर की गिनती अब भुजिया-पापड़ और रसगुल्लों की मिठास के साथ अरबपतियों में भी हो गई है। प्रतिष्ठित मैगजीन फोब्र्स की देश के धनवाल लोगों की सूची में बीकानेर के तीन उद्योगपतियों ने नाम दर्ज कराकर विश्व पटल पर बीकाणा की धाक कायम कर दी। राधाकिशन दम्माणी ने सूची में सातवां, हल्दीराम समूह के मनोहर लाल और मधुसूदन अग्रवाल ने ८६वां स्थान हासिल किया है। बीकानेर के इन तीनों व्यापारियों का जीवन स्तर बहुत ही सामान्य रहा है।
सरकारी स्कूल में पढ़कर और कठिन परिस्थितियों में संघर्ष कर अपने कारोबार को खड़ा किया है। खास बात यह भी है कि तीनों उद्योगपति भले ही महानगरों में अपना कारोबार चला रहे हों, लेकिन अपनी जन्म स्थली बीकानेर को नहीं भूले हैं। वे यहां पर समय-समय पर आकर समाज सेवा के कार्यों में भी भाग लेते हैं।
राधाकिशन दम्माणी डी मार्ट के मालिक हैं। वे शेयर मार्केट और रिटेल मार्केट के किंग माने जाते हैं। अभी मुंबई में रह रहे दम्माणी का बचपन बीकानेर में बीता था। उन्होंने शिक्षा भी यहीं से ली। बचपन में गरीबी का दौर देख चुके दम्माणी ने यहां पीबीएम अस्पताल परिसर में मानसिक रोगियों के लिए अस्पताल बनवाया है। पुश्तैनी मकान दम्माणी चौक में है और वे यहां आते-जाते भी रहते हैं।
भुजिया-रसगुल्ला से मिली पहचान
दो सगे भाई मनोहर लाल और मधुसूदन अग्रवाल की बीकानेर के बड़े बाजार में पुस्तैनी दुकान पर भुजिया-रसगुल्ला की बिक्री आज भी होती है। दोनों ही अग्रवाल बंधु समाज हित के कार्य करते रहते हैं। हल्दीराम समूह ने बीकानेर में हल्दीराम मूलचंद कार्डियो वस्कुलर एण्ड रिसर्च सेंटर हार्ट अस्पताल का निर्माण करवाया है जो एक अनुकरणी कार्य है।
राधाकिशन दम्माणी के सहपाठी जुगल सेवग ने बताया कि राधाकिशन को विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। मेहनत और लगन से यह मुकाम हासिल किया है। रमेश व्यास ने बताया कि उनके परिजनों की दम्माणी चौक में किराने की दुकान थी। करीब पांच दशक पूर्व दम्माणी परिवार बीकानेर से मुम्बई चला गया।
हल्दीराम समूह के मनोहर लाल व मधुसूदन अग्रवाल ने कारोबार बीकानेर से दिल्ली स्थापित किया था। अग्रवाल परिवार के करीबी घनश्याम लखाणी ने बताया कि चारों भाइयों ने कड़ी मेहनत और उच्च गुणवत्ता के दम पर इस बुलंदी को छुआ है। चारों भाई शुरू से ही सादा जीवन उच्च विचार के सिद्धांत पर काम करते हैं।