वैसे तो पीएम प्रवास का भाजपा को खास फायदा नही पहुंचा। 2018 विस में भाजपा के हाथ से बीजापुर विस की सीट निकल गई, 2019 लोस चुनाव में भी गेंद कांग्रेस के पाले में गई, और 2023 में एक मर्तबा और कांग्रेस ने पटखनी दी। 2024 में बारी अब फिर लोस चुनाव की है, लेकिन जांगला में पसरे सन्नाटे की वजह कुछ और है।
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2023 चुनाव में भले दूसरी दफा भाजपा को बीजापुर सीट गंवानी पड़ी हो। लेकिन सत्ता की चाभी जरूर हथिया ली, विस परिणाम से आत्मविश्वास से लबरेज भाजपा को यहां लोस चुनाव से ठीक पहले बड़ा झटका उस समय लगा। पार्टी के दो नेताओं की नक्सलियों ने सिलसिलेवार हत्या कर दी। पहले बीजापुर के रहने वाले तिरुपति कटला और फिर जांगला के कैलाश नाग को नक्सलियों ने मार दिया।
गांव काटने को दौड़ रहा! कैलाश के पिता बताते है कि वे भी भाजपा के सजग सिपाही रहे हैं। बस्तर में भाजपा के पुरोधा स्वर्गीय बलिराम कश्यप के दौर से वे भाजपा के लिए आम कार्यकर्ता की हैसियत से काम करते रहे है। अब बेटे की हत्या ने उन्हें, उनकी पत्नी को झकझोर कर रख दिया है। वे उस दहलीज पर है जहां पिता को बेटे के कंधे की जरूरत है, अपने बेटे की अर्थी को उन्हें कांधा देना पड़ा। 40 साल से ज्यादा इस गांव में लम्बी उम्र काटने के बाद अब यह गांव उन्हें काटने को दौड़ रहा है। कैलाश की पत्नी अब हाथ जोड़कर सरकार से बड़े सुपुत्र को वयस्क होने पर सरकारी नौकरी और छोटे पुत्र को एजुकेशन सिटी में दाखिला मिलने गुजारिश कर रही है।
इस घटना से पार्टी का शीर्ष संगठन तक कांप गया। नक्सलियों के हाथों मारे गए भाजपा व्यापारी प्रकोष्ठ के मंडल अध्यक्ष कैलाश नाग का परिवार घटना से इस कदर सहमा हुआ है कि पूरा परिवार गांव छोड़कर बीजापुर बसना चाहता है। परिवार के सदस्यों पर नक्सलियों का ऐसा खौफ कि शाम ढलते घर के दरवाजे पर ताला लगाकर थाने के नजदीक अपने बनाये किराए के मकान में सोता है।
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बीजेपी नेता को मिल रही थी धमकी
कैलाश की पत्नी कमला नाग कहती है कि 17 साल पहले वह दुल्हन बनकर इस गांव में आई थी। इस बीच उनके दो बच्चे बड़े हो गए। सब कुछ ठीक चल रहा था। पति राजनीति में जरूर थे मगर पार्टी के कामो में वह उनसे ज्यादा सक्रिय थी। हालाँकि भाजपा में रहने की वजह से पति को धमकियां भी मिल रही थी, घटना से पहले भी घर के बाहर पर्चा पड़ा मिला था जिसमे भाजपा छोड़कर कांग्रेस का समर्थन जैसी चेतावनी थी। जिस दिन कैलाश की हत्या हुई , कैलाश कहकर गया था घर लौटने पर साथ भोजन करेंगे, वह राह ताकती रही, लेकिन कैलाश नही आये, आई तो सिर्फ उनकी मौत की खबर।