दीवार गिरने से दो जनो की मौत
रायगढ़ा में ट्रेन रोक दी गई और दीवार गिरने से दो लोगों की मौत हो गई। सरकार ने सभी स्कूलों में छुट्टी की घोषणा कर दी। उत्कल युनिर्वसिटी द्वारा संचालित परीक्षाएं भी स्थगित कर दी गयी। सबसे ज्यादा खस्ताहालत कटक का रहा। बख्शी बाजार इलाके में तो नावों के चलाने की नौबत आ गई। थोड़ी-थोड़ी दूर के लिए नावों की मदद ली गयी। जलनिकासी की व्यवस्था न होने के कारण शहर केअधिकतर हिस्सों में पानी भर गया। लोग घरों से पानी तक उलीच पाए। उलीचते तो कहां । चौतरफा पानी ही पानी था। नगर निगम के डी-वाटरिंग पंपों का उपयोग नहीं हो सका। नाले प्लास्टिक कचरे से भरे पड़े होने के कारण बरसाती पानी निकल नहीं पा रहा था। हालांकि बरसात से पहले नालों की सफाई की व्यवस्था में करोड़ों खर्च किया जाता है पर नाला सफाई वास्तव में हुई या कागजों पर, इस बरसात ने पोल खोल दी। कच्ची बस्तियों की हालत तो अधिक खराब थी। पिठापुर, सुताहाट, रॉक्सीलेन, बादामबाडी, तुलसीपुर, देउला साही, कनिका छक, शेल्टर छक, राजा बगीचा, डोलामुंडी ऐसे इलाके थे जहां दूर-दूर तक पानी ही दिख रहा था। बस्तियां छोटे-छोटे टापू के रूप में दिखाई पड़ी।
आपदा प्रबंधन कमेटी की भी पोल खुली
लोगों ने कहा कि प्रशासन और नगर निगम की बरसात से निपटने की कोई तैयारी नहीं थी। कांग्रेस अध्यक्ष मोहम्मद मुकीम सहयोगियों के साथ निकले और बस्तियों का दौरा किया। उन्होंने जिलाधिकारी से बात की तो बकौल मुकीम जिलाधिकारी ने बताया कि उन्हें क्या पता था कि इतना पानी बरसेगा। जिला स्तर पर गठित आपदा प्रबंधन कमेटी की भी पोल खुल गई। कटक और भुवनेश्वर के सभी स्कूलों में छुट्टी कर दी गई। कटक में 195 एमएम वर्षा रिकार्ड की गयी। कटक कलक्टर सुशांत मोहापात्रा ने बताया कि तालडंडा केनाल में उफान के कारण भी पानी शहर में घुसा।पिठापुर के लोगों का कहना है कि उनके घरों में तड़के चार बजे से पानी घुसना शुरू हुआ। नींद खुलने पर उन्होंने देखा कि किचन और कमरों तक पानी घुस आया। ड्रेनेज व्यवस्था ध्वस्त होने के कारण पानी घरों से निकाल भी नहीं पाए। दिन भर यही हालात रहे।
गुंडिचा मंदिर जलमग्र
भुवनेश्वर में सामान्य जीवन प्रभावित रहा। यहां के आचार्य विहार, नयापल्ली, जयदेव विहार, पटिया व शैलाश्री विहार पूरी तरह से जलमग्न था। भुवनेश्वर नगर निगम की ओर से जलनिकासी की कोई व्यवस्था नहीं थी। पुरी में ब्रह्मगिरि में अलारनाथ मंदिर की नित्य होने वाली रीतिनीति पर भी असर पड़ा। इस मंदिर में पानी भर गया। गुंडिचा मंदिर जहां पर महाप्रभु जगन्नाथ रुके हैं, वह भी जलमग्न है। पारंपरिक पूजा में थोड़ा व्यवधान उत्पन्न हुआ। भक्तों ने पुरी नगर पालिका व जिला प्रशासन पर गुस्सा उतारा। लोगों घुटनों तक पानी में चलकर महाप्रभु के दर्शन किए। बड़दंड क्षेत्र (ग्रांड रोड) पूरी तरह से लबालब था। भक्तों को भारी असुविधा हुई। बाजार भी दोपहर के बाद ही खोले गये। बड़दंड, मार्केट छक, मार्चिकोटे छक एरिया जलमग्न था।