scriptइलेक्शन 2019 स्पेशल…कंधमाल लोस क्षेत्र में अच्युत की सामंती को बीजेपी की चुनौती | Real fight between bjd's Achyut Samant and bjp candidate in kandhamal | Patrika News

इलेक्शन 2019 स्पेशल…कंधमाल लोस क्षेत्र में अच्युत की सामंती को बीजेपी की चुनौती

locationभुवनेश्वरPublished: Apr 16, 2019 08:12:22 pm

Submitted by:

Prateek

2008 में विश्व हिंदू परिषद के नेता स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या के बाद भड़के दंगों की वजह से कंधमाल सुर्खियों में आया था। मुख्यमंत्री पटनायक की मानें, तो इसी के बाद भाजपा और बीजद के रास्ते अलग-अलग हो गए थे…

achut samant

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(कंधमाल,महेश शर्मा): बीजेडी ने राज्यसभा सदस्य कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के संस्थापक अच्युत सामंत को कंधमाल लोकसभा क्षेत्र से उतार कर बाकी प्रत्याशियों के समीकरण प्रभावित करने की कोशिश की है। डा. सामंत 27 हजार आदिवासी बच्चों को केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा, हास्टल, खाना दे रहे हैं। आदिवासी बहुल कंधमाल में उनका यह कार्य उन्हें लोकप्रिय बनाता है। आदिवासी बहुल कंधमाल लोकसभा सीट पर बीजद, भाजपा और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने जा रहा है। हालांकि मतदान आते-आते यह लड़ाई बीजेडी और बीजेपी के बीच सिमटती दिखाई दे सकती है।

 

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बीजेपी प्रत्याशी स्वैन नरेंद्र IMAGE CREDIT:

2008 में दंगों से सुर्खियों में आया था कंधमाल

2008 में विश्व हिंदू परिषद के नेता स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या के बाद भड़के दंगों की वजह से कंधमाल सुर्खियों में आया था। मुख्यमंत्री पटनायक की मानें, तो इसी के बाद भाजपा और बीजद के रास्ते अलग-अलग हो गए थे। भले ही यहां से पांच उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं लेकिन मुकाबला फिलहाल बीजद के अच्युत सामंत, भाजपा के खरावेला स्वैन और कांग्रेस के मनोज आचार्य के बीच है। यहां 18 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में मतदान होगा। कंधमाल संसदीय क्षेत्र ओडिशा के 21 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। यह संसदीय क्षेत्र 2000 में गठित परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद 2008 में अस्तित्व में आया। यहां पहली बार 2009 में सांसद चुनने के लिए मतदान हुआ।

 

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कांग्रेस के मनोज आचार्य IMAGE CREDIT:

मौजूदा सांसद का टिकट कटा

कंधमाल लोकसभा सीट से बीजेडी ने इस बार अपनी पार्टी की सांसद प्रत्युषा राजेश्वरी सिंह का टिकट काटकर अच्युत सामंत को उतारा है। कंधमाल लोकसभा सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव के मात्र 4 महीनों के अंदर इस सीट पर फिर से चुनाव कराने की ज़रुरत आ पड़ी, क्योंकि 5 सितंबर 2014 को सांसद हेमेंद्र चरण सिंह की मौत हो गई थी। उपचुनाव में बीजद ने उनकी पत्नी प्रत्यूषा राजेश्वरी सिंह को टिकट दिया। सहानुभति लहर में वह लगभग तीन लाख वोटों से जीतीं। इस सीट से बहुजन समाज पार्टी के आमिर नायक भी मैदान में हैं। टुना मल्लिक इस सीट से कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (एमएल) के कैंडिडेट हैं।

 

सामंत को पटनायक की साफ छवि का सहारा

बीजेडी के उम्मीदवार सामंत मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की साफ छवि के आधार पर अपनी जीत को लेकर ‘आश्वस्त’ हैं। वहीं तीन बार सांसद रहे स्वैन नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों पर मतदाताओं को खींचने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस के मनोज आचार्य राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी बीजद के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को लेकर उम्मीद से भरे हैं। यहां 12.59 लाख मतदाता हैं। यहां की जनजाति कंध को इस क्षेत्र का मूलनिवासी माना जाता है। यहां इनके अलावा अनुसूचित जाति पानोस समुदाय और ईसाई बड़ी संख्या में हैं। कंधमाल को बीजद का गढ़ माना जाता है। 2014 में बीजद के उम्मीदवार हेंमेंद्र चंद्र सिंह जीते थे। उनके असामयिक निधन के बाद हुए उप चुनाव में उनकी पत्नी प्रत्यूशा राजेश्वरी सिंह ने भाजपा के उम्मीदवार को हराया। हालांकि इस बार बीजद से टिकट नहीं मिलने के बाद राजेश्वरी भाजपा में शामिल हो गईं। यहां बीजेपी प्रत्याशी भी कद्दावर बताए जाते हैं। उन्हें मोदी के अंडर करंट का लाभ मिल सकता है।

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