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Puri Rathyatra 2019 : महाप्रभु जगन्नाथ के सोनावेश दर्शन को लाखों श्रद्धालु पुरी में उमड़े

locationभुवनेश्वरPublished: Jul 13, 2019 09:22:50 pm

Submitted by:

arun Kumar

Puri Rathyatra 2019 : पुरी 13 जुलाई। बाहुदा यात्रा के बाद श्रीमंदिर पहुंचे महाप्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और बहन सुभद्र को स्वर्ण आभूषणों से सजाया गया। मंत्रोच्चारण और भगवान जगन्नाथ (bhagwan jagannath) महात्म्य कथा के संस्कृत और ओड़िया के समावेशी उच्चारण के बीच लाखों श्रद्धालुओं ने भक्तिरस का आनंद उठाया। श्रीमंदिर से लेकर गुंडिचा मंदिर तक करीब तीन किलोमीटर तक ग्रांड रोड श्रद्धालुओं से खचाखच भरी थी। सोनावेश के दौरान इंद्र देवता ने भी रिमझिम बारिश करके सोनावेश पर हर्ष व्यक्त किया और भक्तों को निहाल कर दिया।

Puri Rathyatra 2019 : holy trinity sonavesh darshan in puri

Puri Rathyatra 2019 : holy trinity sonavesh darshan in puri

पुरी 13 जुलाई. बाहुदा यात्रा के बाद श्रीमंदिर पहुंचे को स्वर्ण आभूषणों से सजाया गया। मंत्रोच्चारण और भगवान जगन्नाथ (bhagwan jagannath) महात्म्य कथा के संस्कृत और ओड़िया के समावेशी उच्चारण के बीच लाखों श्रद्धालुओं ने भक्तिरस का आनंद उठाया। श्रीमंदिर से लेकर गुंडिचा मंदिर तक करीब तीन किलोमीटर तक ग्रांड रोड श्रद्धालुओं से खचाखच भरी थी। सोनावेश के दौरान इंद्र देवता ने भी रिमझिम बारिश करके सोनावेश पर हर्ष व्यक्त किया और भक्तों को निहाल कर दिया।
रथयात्रा का धार्मिक उत्सव चार जुलाई से चल रहा

ओडिशा के जगन्नाथ धाम पुरी में रथयात्रा का धार्मिक उत्सव चार जुलाई से चल रहा है। नौ दिन तक गुंडिचा मंदिर में मौसी मां के यहां गुजारने के बाद महाप्रभु श्रीमंदिर के लिए 12 जुलाई को आए। गुंडिचा मंदिर (Gudiya mandir) से श्रीमंदिर तक की रथयात्रा को बाहुधा यात्रा कहते हैं। शनिवार को यानी आज सोनावेश है। स्वर्ण आभूषणों से अलंकृत महाप्रभु के दर्शन करने को लाखों की संख्या में लोग उपस्थित रहे। तीनों विग्रहों से सोने के जेवरों
महाप्रभु जगन्नाथ का पांच बार कराया जाता है सोना वेश

यहां पर उल्लेखनीय है कि साल भर में महाप्रभु जगन्नाथ (bhagwan jagannath) का पांच बार सोना वेश कराया जाता है। एक बार श्रीमंदिर के बाहर यानी बाहुधायात्रा के दूसरे दिन सजाया जाता है। बाकी चार बार श्रीमंदिर में विग्रहों का सोनावेश होता है। माघपूर्णिमा, दशहरा, कार्तिक पूर्णिमा और पौषापूर्णिमा के अवसर होते हैं जब श्रीमंदिर के अंदर भगवान का सोना वेश होता है। इसे राजराजेश्वर वेश भी कहा जाता है। श्रद्धालुओं की भारी संख्या की उपस्थिति में महाप्रभु सोनावेश हुआ। इस मनोहारी वेश का दर्शन करने को मानों आस्था का महासमुद्र पुरी में उमड़ पड़ा हो।
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