मृतक दुर्गा सिधू की पत्नी की चार साल पहले ही मृत्यु हो गयी थी। वह अपनी तीन बेटियों गुरुवराई (9), मुक्ता (8) और मामिना (3) के साथ रह रहा था। जैसे तैसे कमाकर बेटियों को पालपोस रहा था। पैसे को लेकर आए दिन वह परेशान रहता था और तनाव के कारण गुस्सा बेटियों पर उतारा करता था। बताते हैं कि रजोपर्व के दिन शुक्रवार देर शाम वह किसी भी बेटी की जिद पूरी नहीं कर पा रहा था। नये कपड़े व पकवान बनाने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे।
बताया जाता है कि किसी बात पर उसे गुस्सा आ गया और घर का दरवाजा बंद करके उसने बांस का डंडा उठाकर बेटियों को बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला। खुद भी घर के भीतर ही फांसी लगा लयी। थाना इंचार्ज ने बताया कि दुर्गा की मां गांव की हाट से लौटी तो देखा दरवाजा बंद था। उसे खिड़की से शव व खून दिखायी दिया। सूचना पाकर मौके पर पुलिस ने पहुंच कर दरवाजा खुलवाया और शवों को पोस्टमार्टम को भेज दिया।