गिर रहा हीराकुद बांध का जलस्तर
हीराकुद बांध ( Hirakud dam ) का जलस्तर अभी भी 28 फुट नीचे होने के कारण बांध का एक भी गेट नहीं खोला गया है जिससे महानदी में पानी नहीं आ रहा है। कंट्रोल रूम की ताजा रिपोर्ट के अनुसार हीराकुद बांध में जलस्तर 602 फुट रहा है। होना चाहिए 630 फुट। ओडिशा कृषक समन्वय समिति के संयोजक लिंगराज का कहना है कि खरीफ के लिए किसान पानी को तरस रहा है। ताजी रिपोर्ट के अनुसार हीराकुद बांध में 29 फुट पानी कम है। बांध से नहरों को छोड़ा जाने वाला पानी का स्रोत रिजर्वायर (जलाशय) भी पानी को तरस रहा है। यहां से 3,555 क्यूसेक पानी नहरों को मिल रहा है जो कि पर्याप्त नहीं बताया जाता है। पन बिजली संयंत्र में भी बिजली उत्पादन घटा है। महानदी के लिए बांध के एक भी गेट नहीं खोले गए हैं।
प्रकृति का किसानों के साथ क्रूर मजाक
हास्यास्पद तो यह कि एक तरफ पश्चिमी ओडिशा के जिलों के किसान खरीफ की फसल के लिए भरपूर पानी को तरस रहे हैं तो दूसरी तरफ रायपुर में छत्तीसगढ़ और ओडिशा के सिंचाई विभाग और महानदी ( Mahanadi ) से जुड़े आला इंजीनियरों की बैठक में बाढ़ नियंत्रण पर चर्चा की गई। दोनों राज्य बाढ़ का डेटा एक्सचेंज करते रहेंगे। लिंगराज का कहना है कि यह बरगढ़, संबलपुर समेत आठ जिलों के हजारों किसानों के साथ क्रूर मजाक है। महानदी के जानकार ओडिशा के सिंचाई विभाग प्रमुख इंजीनियर सुनील नायक बताते हैं कि छत्तीस गढ़ की राजधानी रायपुर में बैठक में दोनों राज्यों के सिंचाई इंजीनियरों ने महानदी में बाढ़ नियंक्षण पर चर्चा की और डेटा एक्सचेंज की आवश्यकता पर बल दिया।
इन जिलों में सूखे के आसार
यह बात सिंचाई और कृषि विभाग के अधिकारी भी कहते हैं कि पश्चिम ओडिशा के आठ जिलों में सूखा के आसार प्रबल हो रहे हैं। मौसम विभाग की भविष्य वाणी के अनुसार ओडिशा के 13 जिलों में बारिश की संभावना जताई गई है। इनमें तटवर्ती जिले ज्यादा हैं। भविष्यवाणी के अनुसार खोरदा, कोरापुट, मलकानगिरि, गजपति, रायगढ़ा, कालाहांडी, मयुरभंज, क्योंझर, अनुगुल, सुंदरगढ़, देवगढ़, संबलपुर व ढेंकानाल में बारिश होगी। बताया जाता है कि संबलपुर टाउन में बारिश हुई। खेतों की तरफ नहीं हुई। बारिश न होने का सबसे ज्यादा असर 8 जिलों पर पड़ा है। ये सभी पश्चिम ओडिशा के हैं। क्षेत्रीय मौसम विभाग की भविष्यवाणी पर किसानों का भरोसा टूट रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार कम बारिस वाले पश्चिम ओडिशा के जिले इस प्रकार हैं। बरगढ़ (-10.47%), बलंगीर (-21.068%), बौद्ध (-29.77%), देवगढ़ (-35.76%) नुआपाढ़ा (-29.52%), संबलपुर (-31.58%), सोनपुर (-17.91%), सुंदरगढ़ (-44.68%) अपेक्षा से कम बारिस हुई है।
किसानों पर दोहरी मार
दूसरी तरफ किसान संगठन के अशोक प्रधान का कहना है कि किसानों का कहना है कि उनपर फसल बीमा कंपनी और प्राकृतिक आपदा सूखा की दोहरी मार पड़ रही है। फसल बीमा की रकम न मिलने से सबसे ज्यादा दुखी किसान बालासोर, बरगढ़, गंजाम जिले के हैं। गंजाम जिले के ब्लाक रेंगीलुंदा के 12 पंचायतों के किसानों को तो एक पैसा नहीं मिला। यह पैसा तितली चक्रवात के दौरान हुए नुकसान की एवज में मिलना था। अक्टूबर माह 2018 में तितली चक्रवाती तूफान ने कहर बरपाया था। यहां के किसान नेता सुदर्शन पात्रा का कहना है कि बीमा कंपनियां किसानों को छल रही हैं।
पदमपुर बरगढ़ जिला के लिंगराज प्रधान ने कहा कि प्रीमियम देने के बाद भी भुगतान नहीं किया जा रहा है। एग्रीकल्चर विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य 4,80,509 किसान खरीफ फसल बीमा के लिए पंजीकृत किए गए। इनमें घोर अनियमितताएं की गईं। नुआपाड़ा के चंद्रमणि पूतल नामक किसान के पास 1.176 एकड़ जमीन है पर उसके नाम 20.884 एकड़ जमीन बीमित है। यह एक प्रकार की धोखाधड़ी है। फसल कटने के बाद डेटा लेने के बजाय कंपनियां खड़ी तैयार फसल के आधार डेटा तैयार करें तो बेहतर हो सकता है। फसल बीमा कंपनी के जीएम दशरथ सिंह कहते हैं कि पंचायत आफिसों में डेटा नहीं है। बार-बार कहने के बाद भी पंचायत कार्यालय डेटा कलेक्शन का काम नहीं करता। बरगढ़ के किसानों ने फसल बीमा भुगतान में विलंब को लेकर कलक्टर ऑफिस का घिराव भी किया।