मुख्यमंत्री बीजेडी अध्यक्ष नवीन पटनायक के अलावा कोई नहीं दिख रहा है। वरिष्ठ मंत्रियों के साथ ही प्रभावित इलाकों के प्रभारी मंत्री ऊर्जा एवं ग्रामीण विकास मंत्री, पंचायत राज्यमंत्री, नगरविकास मंत्री ये सब कोई दिख रहे हैं? चक्रवात ने तटीय क्षेत्र को तहसनहस कर दिया। दस हज़ार के करीब गाँव उजड़ चुके हैं। बिजली के सैकड़ों सबस्टेशन, टावर, हज़ारों ट्रांसफार्मर, हज़ारों खम्भे व किलोमीटर लंबी हाई व लो टेंशन लाइनें क्षतिग्रस्त हो गईं। 13 दिन बीत चुके हैं पुरी शेष दुनिया से कटा हुआ है। खोरदा, भुवनेश्वर, कटक में जनजीवन धीरे—धीरे सामान्य हो रहा है। ऐसे हालात में नवीन के मंत्रियों की अनुपस्थिति सरकार की आलोचना का विषय बनी हुई है। हालांकि चुनाव आयोग ने फानी प्रभावित ओड़िशा के 11 जिलों को चुनाव आचार संहिता से बाहर रखा है फिर भी यह अनदेखी समझ से परे बतायी जा रही है। ऊर्जा राज्य मंत्री सुशान्त सिंह ने अब तक राहत कार्यों का कोई रिव्यू नहीं किया। यही हाल लगभग नगरविकास एवं आवास मंत्री निरंजन पुजारी और ग्राम्य विकास मंत्री विक्रम केसरी आरुख का है। बताते हैं कि इन मंत्रियों ने फानी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा तक नही किया।
बीजू युवा वाहिनी भी चुप है। बीती 14 मार्च 2018 को मुख्यमंत्री पटनायक ने संघटन की लांचिंग के वक़्त कहा था कि किसी भी संकट या प्राकृतिक आपदा के समय बीजू युवा वाहिनी की भूमिका बढ़ जाती है। इस संगठन में ढाई लाख सदस्य बताये जाते हैं। जिनमे 60 हज़ार फानी प्रभावित क्षेत्र में सक्रिय हैं।
चक्रवात की प्रलय के एक हफ्ते बाद सरकार की आलोचना शुरू हुई तो स्वास्थ मंत्री प्रताप जेना और वन एवं पर्यावरण मंत्री विजयश्री राउतराय ने विभागीय समीक्षा बैठक की। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वरिष्ठ कांग्रेस लीडर नरसिंह मिश्र ने रहत एवं पुनर्वास कार्य के लिए सेना को बुलाने की मांग की। मिश्र का कहना है कि नवीन सरकार में मंत्री होने का कोई अर्थ नहीं है। उन्होंने इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की। बीजेडी प्रवक्ता इस पर वक्तव्य के लिए उपलब्ध नहीं हुए।