किन्नर समुदाय ने किया रक्तदान
इस अवसर पर किन्नर समुदाय की ओर से भी ब्रह्मपुर के टाउन हाल में रक्तदान शिविर का अयोजन किया। ओडिशा किन्नर एसोसिएशन की उपाध्यक्ष सखी संस्था की अध्यक्ष स्वीटी साहू ने इस कार्यक्रम की अगुवायी की।
विपक्ष के हमलों के बीच सेहत की ओर बढ़ रहे सीएम
नवीन पटनायक के स्वास्थ को लेकर विपक्षी दल प्रायः मुद्दा बनाते रहे है पर जैसे-जैसे उम्र ढल रही है पटनायक मजबूत होकर उभरने लगे हैं। व्यायाम उनकी दिनचर्या में है। सुबह वह पपीता का जूस लेते हैं। बहुत कम ही वह फोन पर बात करते हैं। दोस्तों के बीच पप्पू के नाम से चर्चित नवीन को भरवा भिंडी और भुना हुआ चिकन बहुत पसंद हैं। उन्हें सफेद कुरता पाजामा के अलावा किसी ड्रेस में नहीं देखा गया होगा। घर पर लुंगी और गोल गले की टी-शर्ट और चप्पल पहनते हैं।
दिल्ली में चलाते थे बुटीक…
राजनीति में आने से पहले वह दिल्ली के ओबराय होटल में बुटीक चलाते थे। वह इसके मालिक हैं। इनकी बुटीक के कपड़े देश विदेश में सप्लाई होते रहे हैं। नवीन पटनायक के जीवन के कुछ ऐसे वर्ष हैं जो उनके लिए मील का पत्थर साबित हुए हैं। वर्ष 1997 उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट रहा जब उनके पिता ओडिशा के जननायक बीजू पटनायक का 17 अप्रैल को 81 वर्ष की आयु में देहांत हो गया था। यह वर्ष उनके राजनीति में कदम रखने का था। इसी वर्ष वह अपने स्वर्गीय पिता की सीट से ही 11वीं लोकसभा का सदस्य चुने गए। इसी साल 26 दिसंबर को बीजू जनता दल की स्थापना की।
खेली लंबी राजनीतिक पारी…
वर्ष 1998 में बीजेपी के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा। आस्का संसदीय सीट से जीते और अटलजी की सरकार में मंत्री बने। वर्ष 2000 में नवीन पटनायक ओडिशा के मुख्यमंत्री बने। यह सुपर साइक्लोन से ओडिशा की बर्बादी का था साथ ही राज्य कर्मियों की वेतन बढ़ोत्तरी का आंदोलन उन्होंने बखूबी निपटाया। वर्ष 2001 में नवीन पटनायक ने मिशन शक्ति लांच किया। महिला सशक्तीकरण की दिशा में यह महत्वपूर्ण काम था। स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं आत्मनिर्भर बनी। पूरे देश में मिशन शक्ति महिलाओं का सबसे बड़ा समूह बनकर उभरा। लाखों महिलाओं और उनके परिवारों यह मिशन खुशियों का कारण बना। वर्ष 2004 में बीजेपी नीत एनडीए चुनाव हार गया। नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी का ओडिशा में एकछत्र राज्य हो गया। वह फिर सीएम बने।
हर समस्या से निपटने में कुश्ल रहे
वर्ष 2009 में बीजेडी और बीजेपी की दोस्ती खत्म हो गयी। कंधमाल में इसाई विरोधी दंगों के मुद्दे पर दोनों दल अलग हुए। इस वर्ष बीजेडी ने लोकसभा में 14 और विधानसभा में 103 सीटें जीतीं। फिर 12 अक्टूबर 2013 में चक्रवाती तूफान फाइलिन आया। 220 से 250 किमी.प्रति घंटे से तेज हवाओं ने तबाही मचा दी। कुशल आपदा प्रबंधन के चलते उनकी सरकार ने 9,83,642 लोगों को 36 घंटे के भीतर कोस्टल एरिया से बाहर निकाला। जबकि 1999 में 12,642 लोगों की मौत हुई और फाइलिन में सिर्फ 21 लोगों की मौत हुई। वर्ष 2014 में नवीन पटनायक भारी बहुमत से जीतकर सत्ता में आए। लोकसभा उनकी पार्टी 21 में 20 सीटें जीती और जबकि विधानसभा में 147 में से 117 जीती।
यूथ आइकन बने पटनायक…
युवाओं के लिए वह आइकन बने। 2017 में एशियाई एथलेटिक चैम्पियनशिप आयोजित की। 2018 में वर्ल्डकप हाकी आयोजित किया। 2019 में गेमचेंजर स्कीम ‘कालिया’ (कृषक एसिस्टेंस फार लाइवलीहुड एंड इनकम आगमेंटेशन) शुरू करके किसानों को खुशहाल बनाया। 2019 के चुनाव में बीजेपी की लहर के बाद उनकी पार्टी बीजेडी ने विधानसभा में 112 सीटें और लोकसभा में 12 सीटे जीतकर बड़े बड़ों के समीकरण और चुनाव विश्लेषण फेल कर दिए। अब तो उनके विरोधी भी मुरीद हो गए हैं। वो बात दीगर की राजनीतिक विरोध जारी है पर कितना असर होता है यह चुनाव में पता चल जाता है।