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महानदी जल विवादः न्यायाधिकरण में 13 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

locationभुवनेश्वरPublished: May 11, 2019 07:48:05 pm

Submitted by:

Prateek

बीती 30 मार्च को ओडिशा सरकार की तरफ दायर याचिका पर सुनवायी करते हुए न्यायाधिकरण ने दोनों राज्यों से औक एक चक्र वार्ता करके रिपोर्ट देने को कहा था। तब 11 मई की तारीख दी गयी थी…

court file photo

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(भुवनेश्वर): चक्रवात फानी के कारण ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच महानदी जल बंटवारा विवाद पर गठित न्यायाधिकरण अब दोनों राज्यों की दलीलों को 13 जुलाई को सुनेगा। आज सुनवाई की तारीख थी। पर न्यायाधिकरण ने इसे बढ़ा दिया। दोनों राज्यों ने आपस में समन्वय बातचीत करके न्यायाधिकरण को रिपोर्ट देने को कहा था। पर ऐसा नहीं हो सका। बताया जाता है कि फानी चक्रवाती तूफान के चलते ऐसा हुआ। बीती 30 मार्च को ओडिशा सरकार की तरफ दायर याचिका पर सुनवायी करते हुए न्यायाधिकरण ने दोनों राज्यों से औक एक चक्र वार्ता करके रिपोर्ट देने को कहा था। तब 11 मई की तारीख दी गयी थी।

 

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश एएम खानविलकर महानदी जल बंटावारा विवाद की सुनवायी कर रहे हैं। वह न्यायाधिकरण के चेयरमैन हैं। उनके अलावा पटना उच्चन्यायालय के जज डा.रविरंजन और दिल्ली उच्च न्यायालय की जज इंदरमीत कौर इसके सदस्य हैं।


उल्लेखनीय है कि ओडिशा सरकार ने इस संबंध में उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की है। इसकी सुनवाई के लिए उच्चतम न्यायालय ने ट्रिब्यूनल का गठन किया है। महानदी के पानी व इस पर हो रहे छह बैराजों के निर्माण को लेकर ओडिशा व छत्तीसगढ़ में लंबे समय से विवाद चल रहा है। ओडिशा ने बैराजों का निर्माण रोकने की गुहार उच्चतम न्यायालय में लगाई थी। आपसी वार्ता से ओडिशा सरकार ने इंकार कर दिया था। इसी कारण उच्चतम न्यायालय ने न्यायाधिकरण का गठन किया है। इसका कार्यकाल तीन साल का होगा।


न्यायाधिकरण में दोनों राज्यों को वहां अपना पक्ष रखना होगा। छत्तीसगढ़ के लिए सबसे राहत की बात यह मानी जा रही है कि उच्चतम न्यायालय ने बैराजों के निर्माण पर रोक नहीं लगाई है। छत्तीसगढ़ के जल संसाधन विभाग के अफसर कहते हैं कि जिस तरह हमने उच्चतम न्यायालय में अपना पक्ष रखा था, उसी तरह न्यायाधिकरण में भी रखेंगे।


छत्तीसगढ़ सरकार का तर्क है कि जो भी बैराज बनाए जा रहे हैं वह जनता व किसानों के हित में है। इससे पानी का उचित दोहन तो होगा ही प्रदेश में सिंचाई का रकबा भी बढ़ेगा। सरकार जनता के हितों का संरक्षण कर रही है। ओडिशा सरकार का मानना है कि उसके हिस्से का महानदी का पानी रोका जा रहा है। इससे ओडिशा में न केवल सिंचाई बल्कि पेयजल संकट भी उत्पन्न हो गया है।

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