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जल्द ही एम्स से ओडिशा लौटेंगे जग्गा और कालिया

locationभुवनेश्वरPublished: Jul 22, 2019 08:00:57 pm

Submitted by:

Brijesh Singh

Miracles In Medical Science: दो जुड़वा बच्चे जग्गा और कालिया जुड़े दिमाग की सर्जरी के बाद जल्द ही ओडिशा लौटेंगे।

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जल्द ही एम्स से ओडिशा लौटेंगे जग्गा और कालिया

( भुवनेश्वर. महेश शर्मा )। दो जुड़वा बच्चे जग्गा और कालिया के दिमाग को सर्जरी करके सफलता पूर्वक अलग करने का मेडिकल साइंस ( miracles In medical science ) में इतिहास रचने वाले एम्स में ये दोनों बच्चे अब ठीक हैं। इन्हें जल्द ही ओडिशा लाया जाएगा। पहले इन्हें रथयात्रा के दौराना लाया जाना था, पर राज्यस्तर पर तैयारी अपडेट न होने के कारण फिलहाल एम्स में ही रोका गया है। अगस्त के प्रथम सप्ताह में दोनों लाए जा सकते हैं। दोनों के सिर पैदाइशी जुड़े थे। एम्स ( aims ) के डाक्टरों ने कहा है कि क्लीनिकली ये दोनों ठीक हैं। छुट्टी दी जा सकती है। दोनों की सेहत की जानकारी के लिए ओडिशा सरकार का एक अधिकारी बराबर नजर रखे हैं। बेहद कठिन सर्जरी का सारा खर्च ओडिशा सरकार ने उठाया है। दोनों बच्चों के पिता आदिवासी भुयान कन्हार और पुष्पांजलि कन्हार ने बिना सोए कई रातें ऐसे ही गुजार दीं। अब दोनों खुश हैं।

 

दो साल लग गए सर्जरी प्रक्रिया में

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जानकारी के मुताबिक सर्जरी में दो साल लग गए। माता-पिता का कहना है कि उन्हें उनके जुड़वा बच्चों ( Twin kids ) के एम्स से डिसचार्ज होने की तारीख का पता नहीं है। दोनों एम्स के रूम नंबर 6010 में हैं। भुयान कन्हार कहता है कि उसे खुशी तब होगी, जब वह ओडिशा लौटेगा। एम्स के अनुसार जग्गा की स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है, जबकि कालिया को विशेष नली से भोजन दिया जा रहा है। उसकी हालत भी तेजी से सुधर रही है।

 

40 डॉक्टरों की टीम लगी थी

कन्हार का परिवार कंधमाल के मिलप्पा गांव के रहने वाले हैं। जग्गा और कालिया को सर्जरी के लिए जुलाई 2017 में लाया गया था। पूरे दो साल पूरे हो गए। सर्जरी के पहले चरण में 40 डाक्टरों की टीम लगी थी। इसमें जापान के भी डाक्टर शामिल थे। यह सर्जरी 28 अगस्त को की गई थी। इनकी नसें ब्रेन से अलग की गई थीं। 30 विशेषज्ञ डाक्टरों ने दोनों के सिर सर्जरी से अलग किए थे।
सर्जरी के समय बच्चों की उम्र थी महज ढाई साल

इस सर्जरी में न्यूरो सर्जन, न्यूरो एनेस्थीसिया, प्लास्टिक सर्जन, कार्डिएक एनस्थीजा, आर्डिएक सर्जरी, न्यूरो रोडियोलोजी, बैक्टेरियोलोजी के विशेषज्ञों की टीम थी। सर्जरी के वक्त दोनों की उम्र ढाई साल थी। एम्स में इस तरह का पहला सफल आपरेशन बताया जाता है। ऐसे मामलों में 90 प्रतिशत बच्चे नहीं बच पाते। इस आपरेशन में सबसे बड़ी दिक्कत थी एक और नस लगाने की। इसके अलावा दोनों के सिर को अलग करने के बाद उन पर लगाने के लिए चमड़ी तैयार की गई। दोनों बच्चे रक्त अल्पता के शिकार भी थे।

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