चंद्रभागा में स्नान के बाद समुद्र तट पर सूर्य देवता जिन्हें भगवान भुवन भाष्कर के प्रथम दर्शन किए। हालांकि हल्कीफुल्की कोहरे की चादर थी। चंद्रभागा के तट पर सूर्योदय का दृश्य अत्यंत मनोरम होता है। मान्यता है कि पवित्र माघ सप्तमी के दिन चंद्रभागा सरोवर में स्नान करने से सभी तीर्थों की यात्रा का फल प्राप्त होता है। स्थानीय प्रशासन की ओर से चंद्रभागा के तट पर उत्तम प्रकाश व्यवस्था से लेकर यात्रियों की सुरक्षा तक के लिए विशेष प्रबंध किए गए थे। स्नान के बाद श्रद्धालु कोणार्क मंदिर परिसर निकटस्थ नवग्रह मंदिर में भी पूजा अर्चना करते देखे गए। चंद्रभागा में हर साल माघ सप्तमी को मेला सा लगता है। तट पर ही लोग दालमा, भात, सूखी मछली बनाकर केले के पत्ते पर खाते हैं।
चंद्रभागा समुद्री तट कोणार्क के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर से तीन किमी दूर स्थित है। ठंडी हवा की सरसराहट और साफ पानी के साथ तट की प्राकृतिक सुंदरता सैलानियों को अपनी ओर स्वागत करते हैं। यह खूबसूरत समुद्री तट सैर सपाटे, तैराकी, नौका विहार या पैदल चलने के लिए आदर्श स्थान है। चंद्रभागा समुद्र तट पर टूरिस्ट यात्रा की थकान मिटाने और मौज-मस्ती करने के लिए आते हैं। आप इस समुद्र तट पर बैठकर इसकी सुंदरता में खो जाते हैं। यह स्थान शहर के चहल-पहल से दूर है और साथ ही आराम और कायाकल्प का एकांत प्रदान करता है, लेकिन वार्षिक चंद्रभागा मेले के दौरान यह समुद्र तट एक अलग रूप में दिखता है। इस दौरान यह समुद्री तट लोगों, रंगों, प्रकाश तथा क्रियाओं से जीवित हो जाता है। इस तट के पास एक प्रकाशस्तंभ है। इस प्रकाशस्तंभ के शीर्ष पर खड़े होकर चंद्रभागा समुद्र तट की राजसी सुंदरता को देखना अपने आप में एक अनुभव है।