समुद्र तट पर बसे श्रीक्षेत्र पुरी ( Puri Jagannath Temple ) में आस्था का महासमुद्र देखकर समुद्र देवता भी अचरज में होंगे। यह दृश्य प्रति वर्ष दिखाई देता है। भक्तों की भारी भीड़ देखते हुए जिला प्रशासन ने चाकचौबंद सुरक्षा की है। चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरा और सुरक्षा बलों की तैनाती के कारण अराजक तत्वों के मंसूबे ध्वस्त हो चुके होंगे। यह व्यवस्था न केवल श्रीक्षेत्र बल्कि समुद्री और हवाई मार्ग पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
उमड़ा भक्तों का सैलाब
दूरदर्शन पर हर साल रथयात्रा के सजीव प्रसारण के दौरान बीते 15 साल से कमेंट्री कर रहीं महिला आयोग की पूर्व सदस्य नम्रता चड्ढा इसे चमत्कार ही कहती हैं। वह कहती हैं कि जगन्नाथ संस्कृति के कुशल जानकार प्रोफेसर चंद्रशेखर रथ से उन्होंने कहा कि आत्मविश्वास डगमगाने लगता है। कैसे कमेंट्री करूंगी। प्रो.रथ ने कहा कि महाप्रभु का ही आदेश है उन्हें मन में बसाकर कमेंट्री करो। फिर क्या तब से आज तक 15 साल हो गए। इस बीच परिवर्तन यह कि भक्तों की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है। कमेंट्री में काफी नयापन लाने का प्रयास करती हूं। बाहुदा यात्रा और सोना वेश का बहुत ही आकर्षण है। पुरी में भक्तों का तो जैसे सैलाब उमड़ पड़ता है।
प्रतिहारी सेवायत विभु प्रसाद मुदरा का कहना है कि भगवान जगन्नाथ अपने नाम की सार्थकता सिद्ध करने को रत्नभंडार के आकर्षण को त्याग कर भक्तों के बीच आते हैं। उनके बड़े भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा और सुदर्शन चक्र के साथ महाप्रभु जगन्नाथ रथ पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर आते हैं। यहां पर नौ दिन प्रवास के बाद तीनों विग्रह रथ से ही वापस ले जाए जाते हैं।
महाप्रभु जगन्नाथ की बाहुदा यात्रा बिलकुल रथयात्रा की तरह ही संपन्न हुई। इससे पूर्व तीनों विग्रहों की पहांडी बिजे की गई। अर्थात विग्रहों को गुंडिचा मंदिर से रथ तक लाया गया। इस बीच हल्की बूंदाबांदी के बीच ऐसा महसूस हुआ कि मानों इंद्र देवता महाप्रभु के भक्तों पर पवित्र जल की फुहार छोड़ रहे हों।