पारादीप पोर्ट ट्रस्ट ने किया समाझौता
ओडिशा के पारादीप बंदरगाह ( Paradip Port ) में प्रतिदिन दस एमएलडी यानी एक करोड़ लीटर समुद्री पानी को रोज पीने योग्य बनाने की क्षमता का अत्याधुनिक प्लांट ( Sea Water Filter Plant ) लगाया जाएगा। प्लांट लगाने के लिए पारादीप पोर्ट ट्रस्ट ( Paradip Port Trust ) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी चेन्नई ( National Institute of Ocean Technology Chennai ) के बीच पारादीप में सोमवार 15 जुलाई शाम को करारा हुआ है। पारादीप बंदरगाह के मुख्य अभियंता रामचंद्र राय और ओशन टेक्नोलॉजी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर एमवी कैराना मूर्ति ने इस समझौता पत्र पर दस्तखत किए हैं।
116 करोड़ रुपया होगी लागत
उल्लेखनीय है कि समुद्र जल ‘ओस्मोसिस पानी’ ( Osmosis Water ) को पारादीप शहर में मुहैया कराया जाएगा। अगले माह अगस्त 2019 के लिए इस प्लांट के लिए टेंडर जारी किए जाएंगे। यह प्लांट खासकर गर्मियों के मौसम में पीने योग्य पानी जगह-जगह पिलाने में कारगर होगा। पारादीप पोर्ट द्वारा ओडिशा में यह पहला पेयजल प्लांट ( Sea Water Filter Plant In Paradip ) होगा जो समुद्री जल को पीने योग्य बनाकर लोगों को पानी के संकट से उबारेगा। इस पायलट प्लांट की लागत 116 करोड़ रुपया होगी। एक खास बात और है भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर ( Bhabha Atomic Research Center ) ने भी ब्रह्मपुर के गोपालपुर में ऐसा ही प्लांट लगाया है।
देश में इन जगहों पर भी लगेंगे ऐसे प्लांट
देश में समुद्री पानी के अन्य उपयोगों पर तेजी से काम चल रहा है। बीते साल केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ( Nitin Gadkari ) ने कहा था कि पेयजल की मांग को पूरा करने के लिए तीन प्रमुख बंदरगाहों पारादीप, एन्नौर ( Ennore Port ) , चिदंबरनार ( Chidambaranar Port ) में समुद्री पानी की रीसाइक्लिंग और विलवणीकरण (डेसालिनेट) के लिए ( Sea Water Filter Plants In India ) प्लांट लगाएं जाएंगे। ओडिशा के पारादीप में हुए समझौता पत्र पर दस्तखत इसी कड़ी में शामिल है। समुद्र का पानी अब पीने योग्य बनाया जा सकेगा।
पानी को लेकर चौंकाने वाले तथ्य, जो जानना जरूरी ( India Water Crisis )
-21 भारतीय शहरों में 2020 तक भूजल समाप्त हो जाएगा। नीती आयोग की मानें तो इनमें देश की राजधानी नई दिल्ली भी शामिल है। ऐसे में 60 करोड़ लोगों को पानी के गंभीर संकट से जूझना पड़ेगा।
-रिपोर्ट के अनुसार 84 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को नल के जरिये पानी नहीं मिलता। 70 प्रतिशत पानी प्रदूषित है। पानी की क्वालिटी के मामले में 122 देशों में भारत का नंबर 120वां है।
-एक जून से 19 जून 2019 के बीच 0.3 मिमी. बारिश चैन्नई में हुई। सामान्य तौर पर यह 40 मिमी.होनी चाहिए। वर्षा में इतनी भारी कमी खतरे के संकेत।
-विश्वबैंक ने 45 करोड़ डॉलर पानी के लिए एक प्रोजेक्ट के लिए स्वीकृत किया है जिसके तहत भूजल के गिरते स्तर को रोकने में मदद की जाएगी। वर्ष 1950 से 2010 के बीच भारत में नलकूपों की संख्या दस लाख से बढ़कर तीन करोड़ हो गई।