मानवाधिकार आयोग ने बयान जारी कर बताया कि बच्चे के जन्म के बाद छात्रा को नवजात के साथ हॉस्टल से बाहर खदेड़ दिया गया और उसे एक जंगल में शरण लेने पर मजबूर होना पड़ा। नोटिस में कहा गया है कि मीडिया में खबर आई थी कि आठवीं कक्षा की 14 वर्षीय छात्रा ने कंधमाल जिले में स्थित सरकारी आवासीय विद्यालय में 12 जनवरी को एक बच्चे को जन्म दिया था। आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में दोषियों के खिलाफ की गई कार्रवाई एवं नाबालिग लड़की के राहत एवं पुनर्वास संबंधी विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है। पुलिस अपनी जांच के तहत विद्यालय के छह कर्मचारियों से पूछताछ कर रही है। कंधमाल की जिला कल्याण अधिकारी चारूलता मलिक ने बताया कि किशोरी और नवजात को सबसे पहले जिले के बालीगुडा उपखंड अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मलिक ने कहा कि लड़की ने आरोप लगाया है कि उसे और उसके बच्चे को छात्रावास से बाहर कर दिया गया था। उन्होंने पास के एक जंगल में शरण ली थी। बाद में ब्रह्मपुर में इलाज के दौरान शिशु की मौत हो गई थी।
बता दें कि बालात्कार पीड़िता ने बीते दिनों शिशु को जन्म दिया था। इलाज के दौरान शिशु की मौत हो गई थी। सामने आने के बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया था। पीड़िता के शिशु को जन्म देने की बात को छुपाने के लिए आदिवासी आवासीय विद्यालय की ओर से प्रयास किए गए थे। पुलिस ने बताया कि पीड़िता 7—8 महिने पहले अपने गांव गई थी तब उसके साथ बलात्कार की घटना हुई। घबराई पीड़िता ने परिजनों से यह बात छुपाए रखी।