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जाजपुर: कर्ज के बोझ तले दबे किसान ने की आत्महत्या

locationभुवनेश्वरPublished: Sep 26, 2018 01:56:41 pm

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Prateek

बताते हैं कि गौरांग पांच एकड़ में धान की खेती करता है। उसकी पत्नी ने एक लाख रुपए का ऊंची ब्याज दर पर दो लोगों से ऋण लिया था। गौरांग ने भी साहूकारों से एक लाख रुपया कर्ज लिया था…

farmer suicide file photo

farmer suicide file photo

(पत्रिका ब्यूरो,भुवनेश्वर): राज्य में किसान आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। जाजपुर जिले में एक युवा किसान ने फसल की क्षति व कर्ज अदा नहीं कर पाने के कारण फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली।

 

यह घटना धर्मशाला ब्लाक के मंगराज पुर गांव की है। मरने वाला किसान जयराम बल का बेटा गौरांग बाल है। बताते हैं कि गौरांग पांच एकड़ में धान की खेती करता है। उसकी पत्नी ने एक लाख रुपए का ऊंची ब्याज दर पर दो लोगों से ऋण लिया था। गौरांग ने भी साहूकारों से एक लाख रुपया कर्ज लिया था। उसकी फसल को नुकसान हुआ और वह कर्ज अदायगी भी नहीं कर पाया। बुधवार की सुबह उसका शव कमरे मे फंदे पर लटकता पाया गया। पुलिस ने मौके पर पहुंच कर शव का पंचनामा करके पोस्टमार्टम को भेज दिया है। किसान आत्महत्या की इस घटना की पुलिस जांच कर रही है।

 

बीते माह ही बलंगीर और संबलपुर में दो किसानों ने कर्ज अदाजयी नहीं कर पाने तथा फसली नुकसान के कारण आत्महत्या कर ली थी। बीते साल नवंबर में 10 दिन के भीतर सिर्फ बरगढ़ में 8 किसानों द्वारा आत्महत्या किए जाने की घटनाएं प्रकाश में आयीं। कई स्थानों पर फसल जलाने की घटनाएं भी प्रकाश में आयीं। फसली नुकसान विशेष कीट के कारण हुआ जो फसलों को चाट जाता था। उनका सफाया करने वाले कीटनाशक भी प्रभावहीन बताए गए।


बताते हैं कि या तो कीटों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गयी है या फिर कीटनाशक नकली थे। 2017 में तो 25 अक्टूबर से 16 दिसंबर तक 14 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। यह आंकड़ा तो सरकारी बताया जाता है पर बताते हैं कि बीते साल आत्महत्या करने वालों किसानों की संख्या 150 पार थी। पर्यावरण पर एक राष्ट्रीय पत्रिका की मानें तो 2017 में सूखा की मार झेल रहे 6 हजार गांवों की हालत पहले से ही खराब है ऊपर कीट ने कहर बरपा दिया। बरगढ़ को ही लें तो 2015 में इस जिले में 40 किसानों ने आत्महत्या कर ली थी। राज्य के 75 फीसदी लोगों की निर्भरता कृषि पर है। सरकारी राहत का ऐलान ऊंट के मुंह में जीरा जैसा होता है।


नेशनल सैंपल सर्वे आर्गनाइजेशन के मुताबिक ओडिशा में 57.5 प्रतिशत किसान परिवार कर्ज में डूबे हैं। यहां समुद्री तूफान और बाढ़ के कारण किसानों के आर्थिक विकास पर तो जैसे रोड़ा लग गया हो। किसान नेता लिंगराज ने बताया कि दुर्भाग्य तो यह कि राज्य सरकार ने अब तक खेतिहर किसानों की पहचान नहीं कराई है जबकि आत्महत्या करने वाले खेतिहर किसान और छोटी जोत के किसान हैं। कुल 70 लाख किसान परिवारों में से 60 प्रतिशत खेतिहर हैं।

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