मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इस घटना की जांच राजस्व मंडलायुक्त को सौंपी थी। साथ ही यह आदेश दिया था कि एक दिन के भीतर रिपोर्ट सौंपे। उनकी रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री ने बाटलिंग प्लांट रद्द कर दिया। कड़े प्रतिरोध के बाद भी सैकड़ों की संख्या में पेड़ काट डाले गए थे। ग्रामीण पेड़ को आलिंगन करके बचा रहे थे।
इस आंदोलन में सिविल सोसाइटी और पर्यावरण प्रेमी भी कूद पड़े थे। सरकार पर आंदोलन का सीधा दबाव पड़ा और निजी क्षेत्र को बीयर बाटलिंग प्लांट लगाने का फैसला सरकार को वापस लेना पड़ा। बीयर बनाने वाली कंपनी पी.बाटलर्स प्राइवेट लिमिटेड को पट्टा दिया गया था।
गांव वालों का कहना है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दायर याचिका पर सुनवाई 20 नवंबर को होने वाली थी। पर फैसला उससे पहले ही हो गया।