दूसरी तरफ केंद्र सरकार के सहयोग को लेकर पटनायक ने भी मोदी के सहयोग की प्रशंसा की और धन्यवाद ज्ञापित करते हुए मोदी को एक पत्र भी भेजा। यह खतोकिताबत मोदी को फिर सत्ता में आने से रोकने की दिशा में रीजनल पार्टियों की कोशिशों को ‘धीरे से लगा जोर का झटका’ के रूप में देखा जा रहा है। मोदी को रोकने के नाम पर फेडरल फ्रंट गठन को लेकर जुटे तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव चुनाव घोषणा से पहले नवीन पटनायक से भुवनेश्वर में मिलने आए थे पर उनकी दाल नहीं गली। राजनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि पटनायक, राव और आंध्र में वाईएसआर कांग्रेस चीफ जगनरेड्डी के सांसद जरूरत पड़ने पर मोदी से गठजोड़ कर सकते हैं। यह चर्चा राष्ट्रीय पर भी है।
कुल मिलाकर कहा जाने लगा है कि चुनावी नतीजे आने के बाद सरकार गठन के दौरान बीजू जनता दल से तालमेल की राजनीतिक इबारत गढ़ी जाने लगी है। केद्र ने भी ओडिशा के पुनर्निर्माण के लिए खजाना खोल दिया है। बीजू जनता दल के गठन के बाद दोनों ही दल साथ-साथ थे। नवीन पटनायक अटल सरकार में केंद्रीय मंत्री थे। तब वह जनता दल से आसका लोस क्षेत्र से चुने गए थे। फिर उन्होंने अपने स्वर्गीय पिता के नाम पर बीजू जनता दल बनाया। बीजेपी के साथ गठजोड़ करके ओडिशा में सरकार बनायी। पांच साल बाद गठबंधन टूट गया। नवीन की पार्टी ने अकेले दम पर राज्य में सरकार बना ली।
नवीन के धुर विरोधी कहे जाने वाले केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के तीखे तेवर भी केंद्र के इशारे पर शांत हैं। वह बराबर सहयोग कर रहे हैं। दोनों तरफ से बयानबाजी बंद है। फानी चक्रवात से उजड़े लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना में पांच लाख पक्का घर देने की नवीन की मांग पर केंद्र का सकारात्मक रुख राजनीतिक हल्कों में चर्चा में है। मोदी को संबोधित पत्र में नवीन ने यहां तक लिखा कि धन स्वीकृति की प्रत्याशा में वह पीड़ितों की मदद के लिए एक जून को टेंडर का आर्डर देने जा रहे हैं। फानी के बाद मोदी की ओडिशा विजिट और पीड़ा जानने में पीएम की रुचि का उल्लेख भी नवीन ने किया।
उधर बीजेडी के प्रवक्ता संबित पात्रा कहते हैं कि उनकी पार्टी बीजेपी और कांग्रेस से समान दूरी रखने पर कायम है। नवीन पटनायक का जरूरत पड़ने पर मोदी को सपोर्ट को लेकर इसलिए अटकलों का बाजार और भी गरम है क्योंकि बीते पांच साल में मोदी सरकार को नवीन के सांसदों ने लोकसभा और राज्यसभा में समर्थन किया है। यही नहीं, विमुद्रीकरण (डीमॉनटाइजेशन), उत्पाद एवं सेवा कर (जीएसटी), दि सिटिजेनशिप अमेंडमेंट बिल पर बीजेडी के सांसदों का लोस और रास दोनों में ही केंद्र को समर्थन रहा है। और तो और राज्यसभा उपसभापति चुनाव में भी नवीन के सांसद मोदी के साथ खड़े दिखे। इस कार्यकाल में नवीन के बीस सांसद लोकसभामें तथा नौ सांसद राज्यसभा में हैं।