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सीबीआइ डीएसपी बनकर महिला से पौने दो लाख की ठगी करने वाला गिरफ्त में

locationभोपालPublished: Oct 10, 2018 01:41:00 am

Submitted by:

Ram kailash napit

अयोध्या नगर में छात्र की संदिग्ध हालत में मौत की जांच करने का दिया था झांसा

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भोपाल/इंदौर. अयोध्या नगर इलाके में करीब ढाई साल पहले (22 अक्टूबर 2015) को बेटे की हुई मौत की जांच करवाकर दंपती हकीकत जानना चाहता था। सीबीआइ का नंबर इंटरनेट पर ढूंढने की कोशिश की तो ठग का नंबर मिल गया। उसने खुद को सीबीआइ डीएसपी बताकर इंदौर के पलासिया थाने पर बुलाया और परिसर में ही पौने दो लाख रुपए ऐंठ लिए। इसके बाद आरोपी गायब हो गया। ठगी का पता चलने के बाद दंपती ने पलासिया थाने में आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कराया है।

पलासिया टीआइ अजीत सिंह बैस ने बताया, सर्वधर्म कॉलोनी भोपाल निवासी किस्मत सिंह पति अजय प्रताप सिंह मौर्य के इकलौते बेटे आदित्य की करीब ढाई साल पहले मौत हो गई थी। इसकी वह सीबीआई से जांच कराना चाह रही थीं। इसके लिए उन्होंने इंटरनेट पर सीबीआइ के ऑफिस का नंबर ढूंढा था। तब रतलाम निवासी कमलेश जोशी उर्फ बंटी का नंबर सीबीआइ ऑफिसर के नाम से मिला।

इस पर बात करने पर कमलेश ने उन्हें कहा, मैं तो सीबीआइ से नहीं हूं, लेकिन मैंं सीबीआइ के डीएसपी का नंबर देता हूं, कहकर अपना ही दूसरा नंबर फरियादी को दे दिया। इस पर बात की तो कमलेश ने खुद को सीबीआइ डीएसपी बताया। महिला ने बेटे की मौत की जांच करने की बात कही। तब कमलेश ने उन्हें मिलने के लिए इंदौर में पलासिया थाने पर अपना कार्यालय बताकर बुलाया। थाना परिसर में फरियादी से मिला और केस की जानकारी लेने के बाद कहा कि निजी केस की जांच के लिए एजेंसी की फीस देना पड़ती है। उसने जांच के नाम पर 1.70 लाख रुपए मांगे और अपने एसबीआई बैंक का खाते का नंबर भी दिया। फरियादी ने ये राशि आरोपी कमलेश के खाते में जमा कर दी।

करने लगा टालमटोली
कमलेश जांच के नाम पर टालमटोली करता रहा। फिर साढ़े चार लाख की और मांग की। फरियादी ने देने से इनकार कर पहले दिया पैसा वापस मांगा। उसने पहले पैसे देने के लिए हामी भरी फिर फरियादी का नंबर ब्लॉक कर दिया। महिला की शिकायत पर पुलिस ने सोमवार रात कमलेश के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कर मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया।

मां ने तलाशी थी कार
घटना के बाद अयोध्या नगर पुलिस आदित्य की जान लेने वाले आरोपियों को नहीं पकड़ रही थी। तभी किस्मत ने खुद घटना स्थल के पास 15 दिन तक रैकी कर बेटे के कातिल कार को पकड़कर पुलिस को सौंपा था। पुलिस ने फिर से हेराफेरी शुरू कर दी थी। इसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर केस दर्ज आरोपी को गिरफ्तार किया गया था।
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