ये हैं चार बड़ी वजह
1. ज्यादातर लोग सिर्फ ग्लोबल वार्मिंग को ही गर्मी के लिए जिम्मेदार मानते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। राजस्थान के रेतीलों इलाकों से आने वाली हवा मध्यप्रदेश में गर्मी बढ़ाती है। मूलत: ये हवाएं पाकिस्तान की तरफ से आती हैं।
2. साथ ही मानसून का मतलब सिर्फ बारिश से नहीं होता। विशेषज्ञ कहते हैं कि हवाओं की दिशा या रुख का परिवर्तन ही मानसून होता है। इसमें गर्म हवाएं भी शामिल होती हैं।
3. मार्च से लेकर 21 जून तक सूर्य धरती के करीब आते जाता है। सूरज जैसे-जैसे धरती के करीब आता है, उससे निकलने वाले रेडिएशन को भी धरती ज्यादा करती है। यानी धरती पर गर्मी अधिक होती है।
4. शहरीकरण से भी गर्मी ज्यादा फील होती है। शहरों में कांक्रीट सोलर रेडिएशन को ज्यादा रिफ्लैक्ट करता है। साथ ही इससे जमीन के भीतर पानी का रिसाव कम होता है। जमीन के भीतर पानी कम होने से जमीन के ऊपर सूखापन बढ़ जाता है।
जानें कहां कितना तापमान
नर्मदापुरम में लगातार दूसरे दिन तीव्र लू की स्थिति बनी। यहां अधिकतम तापमान 43 डिग्री के करीब पहुंच गया। खरगोन में तापमान 42 डिग्री से अधिक रहा। राजधानी भोपाल में भी पारा 38.6 डिग्री दर्ज किया गया। ज्यादातर शहरों में तापमान 39 डिग्री से 42 डिग्री के बीच रहा।
दो दिन बाद थोड़ी राहत की उम्मीद
मौसम विज्ञानी और ड्यूटी ऑफिसर एसएन साहू ने बताया, फिलहाल मौसम का मिजाज इसी तरह रहेगा। तापमान में उछाल का क्रम जारी रहेगा। हालांकि एक पश्चिमी विक्षोभ शुक्रवार से सक्रिय हो रहा है, इसलिए 20 मार्च के आसपास बादलों की स्थिति बन सकती है, इसके कारण अधिकतम तापमान में हल्की गिरावट होने की उम्मीद है। इसके बाद 23-24 मार्च से फिर तापमान में बढ़ोतरी शुरू होगी।