गौरतलब है कि मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (vyapam) में हुई परीक्षाओं और उनमें फर्जी भर्तियों का नाम ही व्यापमं घोटाला है। यह घोटाला हर दिन सुर्खियों में बना रहता है। प्रदेश ही नहीं, बल्कि इस दागदार घोटाले से देश की सियासत में भी उबाल आता रहता है। इस घोटाले की गूँज जहां cm हाउस से राजभवन तक रही, वहीं कई मंत्री और कई बड़े अफसरों पर भी उंगलियां उठती रही। और इस घोटले की गूंज दिल्ली तक जा चुकी हैंं।
पहले भी लगा चुके है आरोप
व्यापमं घोटाला को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सरकार पर आरोप लगा चुके है। दिग्विजय सिंह ने व्यापमं घोटाला से जुड़े कई आरोपियो के बचाने का भी आरोप लगाया हैं।
इस घोटाले से जुडे कई लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में हो चुकी मौत
इसमें 50 से अधिक केस दर्ज हुए। और हजारों लोग आरोपी बनाए गए और करीब दो हजार से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। घोटाले का पर्दाफाश होने से लेकर अब तक कई लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है जो इस केस से ताल्लुक रखते थे।
कैसे शुरू हुआ व्यापमं घोटाला
बताया जाता है कि 2013 में डा. जगदीश सगर के पकड़े जाने के बाद इस मामले की परतें खुलती गईं। मेडिकल प्रवेश परीक्षा में धांधली की खबरें आईं। इसमें अभ्यर्थियों ने मेडिकल दाखिले में पास होने के लिए रिश्वत दी थी। परीक्षा में पास कराने का खेल चला और असली परीक्षार्थियों के स्थान पर दूसरों ने परीक्षा दे दी।
CM शिवराज सिंह ने स्वीकारा
CM शिवराज सिंह विधानसभा में स्वीकार कर चुके हैं कि 1000 भर्तियां अवैध रूप से हुईं हैं। कई मंत्री, IPS, राज्य पुलिस अधिकारी, RSS के नेताओं के करीबी, और तो और कांग्रेस नेताओं के नाम भी इस महाघोटाले में आ गए हैं।