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विनायक चतुर्थी 2019: इस साल पहली बार 10 जनवरी को पड़ रही ये तिथि, सुख-समृद्धि के लिए ऐसे करें पूजन

locationभोपालPublished: Jan 09, 2019 06:08:28 pm

इन बातों का रखें ध्यान, ये मंत्र हर समस्या कर देंगे दूर!…

shiv Putra Shri Ganesh

विनायक चतुर्थी 2019: इस साल पहली बार 10 जनवरी को पड़ रही ये तिथि, सुख-समृद्धि के लिए ऐसे करें पूजन

भोपाल। श्रीगणेश गणेश शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं। उनका वाहन डिंक नामक मूषक है। गणों के स्वामी होने के कारण उनका एक नाम गणपति भी है। यह प्रथम पूज्य देव माने जाते हैं। इन्हीं श्री गणेश को प्रसन्न करने के लिए विनायक या विनायकी चतुर्थी और संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता हैं। यह तिथि वर्ष 2019 में 10 जनवरी को पड़ रही हैं।
हिन्दू-मान्यताओं के अनुसार श्रीगणेश के आशीर्वाद से जीवन के सभी कार्य संभव हो जाते हैं। इसीलिए उनको विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, जो आपके सभी दु:खों को हर लेता है।

पंडित सुनील शर्मा का कहना है कि पौराणिक ग्रंथों के अनुसार तो शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायकी तथा कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं।

वहीं कई स्थानों पर विनायक चतुर्थी को ‘वरद विनायक चतुर्थी’ भी कहते हैं। ऐसा विश्वास है कि विनायकी चतुर्थी व्रत करने से घर में सुख, समृद्धि, संपन्नता के साथ-ज्ञान एवं बुद्धि की प्राप्ति भी होती है। इस दिन श्रीगणेश का पूजन किया जाता है। यह भी माना जाता है कि इस दिन श्री गणेश की पूजा दोपहर में की जानी चाहिए।

दरअसल हर माह में दो चतुर्थी तिथि आती है, एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। शास्त्रों के अनुसार, चतुर्थी तिथि भगवान श्री गणेश को समर्पित है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। कई स्थानों पर विनायक चतुर्थी को ‘वरद विनायक चतुर्थी’ के नाम से भी जाना जाता है।

जनवरी में विनायक चतुर्थी 10 जनवरी को है। इस दिन गणेश की उपासना करने से घर में सुख-समृद्धि, आर्थिक संपन्नता के साथ-साथ ज्ञान एवं बुद्धि प्राप्ति होती है।

ऐसे करें विनायक चतुर्थी की पूजा…
पंडित शर्मा के अनुसार इस दिन श्री विनायक का पूजन करने के लिए प्रात काल उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें और यदि संभव हो तो लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
भगवान को प्रणाम करें और उनके व्रत एवम् पूजा का संकल्प करें। इसके बाद दोपहर पूजन करें और सामर्थ्य के अनुसार सोने, चांदी, पीतल, तांबा, मिट्टी अथवा सोने या चांदी से निर्मित गणेश जी प्रतिमा स्थापित करें।
इसके बाद षोडशोपचार पूजन कर श्री गणेश की आरती करें। आरती के बाद गणपति की मूर्ति पर सिन्दूर चढ़ाएं। फिर ‘ॐ गं गणपतयै नम: मंत्र का जाप करते हुए 21 दूर्वा दल अर्पित करें। अंत में गणेश जी को बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। इन्हीं में से 5 लड्डू ब्राह्मण को दान दें और 5 श्री गणेश के चरणों में रखें, शेष को प्रसाद स्वरूप बांटें।
भगवान श्रीगणेश के इन मंत्रों से हर बाधा हो जाती है दूर :-
पंडित व ज्योतिष शर्मा के अनुसार ऐसी मान्यता है कि बुधवार श्रीगणेश की पूजा का विशेष दिन होता है । साथ ही, इस दिन बुध ग्रह के निमित्त भी पूजा की जाती है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में हो तो बुधवार को इस तरह मंत्र, पूजा कर कई परेशानी दूर कर सकते हैं।

परिवार में कलह कलेश हो तो बुधवार के दिन दूर्वा के गणेश जी की प्रतिकात्मक मूर्ति बनवाएं। इसे अपने घर के देवालय में स्थापित करें और प्रतिदिन इसकी विधि-विधान से पूजा करें।

पूजन में इस मंत्र का करें जप-

मंत्र:
प्रातर्नमामि चतुराननवन्द्यमानमिच्छानुकूलमखिलं च वरं ददानम।
तं तुन्दिलं द्विरसनाधिपयज्ञसूत्रं पुत्रं विलासचतुरं शिवयो: शिवाय।।
प्रातर्भजाम्यभयदं खलु भक्तशोकदावानलं गणविभुं वरकुञ्जरास्यम।
अज्ञानकाननविनाशनहव्यवाहमुत्साहवर्धनमहं सुतमीश्वरस्य।।

बिगड़े काम बनाने के लिए बुधवार को गणेश मंत्र का स्मरण करें-


मंत्र : त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय। नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम।
श्री गणेश को प्रसन्न करने के लिए –

मंत्र : ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ति: प्रचोदयात।

बुद्धि प्राप्ति के लिए श्री गणेश बीज मंत्र-

मंत्र : ऊँ गं गणपतये नम: ।।

सिद्धि प्राप्ति मंत्र –

मंत्र : एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निविज़्घ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
मंगल विधान और विघ्नों के नाश के लिए-

मंत्र : गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजानन:।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिप:॥
विनायकश्चारुकर्ण: पशुपालो भवात्मज:।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत क्वचित।

श्री गणेश का पूजन जीवन में खुशियां लाता है। श्री गणेश के इन मूल मंत्रों का 108 बार नियमित जप करने से मनोकामना पूर्ति में सहायक होते हैं। किसी भी एक मंत्र का जप किया जा सकता है।
मंत्र :
श्री गणेशाय नम:।
ऊँ गं गणपतये नम:।
ऊँ गं ऊँ।
श्रीगणेश गायत्री मंत्र:
एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।
महाकणाज़्य विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।

इन बातों का भी रखें खास ध्यान…
इस दिन पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ भी करना उत्तम माना जाता है। साथ ही ब्राह्मण को भोजन और दक्षिणा देने से भी भगवान प्रसन्न होते हैं। इस दिन उपवास करके शाम के समय भोजन ग्रहण करें।
शाम के समय भी व्रत का पारण करने के पूर्व गणेश चतुर्थी कथा, गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि का पाठ करें। आखीर में संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करके श्री गणेश की आरती करें और ‘ॐ गणेशाय नम:’ मंत्र के जाप से पूजा का समापन करें।
भगवान श्री गणेश का नवग्रहों से संबंध…
श्रीगणेश जी को ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह से संबद्ध किया जाता है। इनकी उपासना नवग्रहों की शांतिकारक व व्यक्ति के सांसारिक-आध्यात्मिक दोनों तरह के लाभ की प्रदायक मानी गई है।
अथर्वशीर्ष में इन्हें सूर्य व चंद्रमा के रूप में संबोधित किया है। सूर्य से अधिक तेजस्वी प्रथम वंदनदेव हैं। इनकी रश्मि चंद्रमा के सदृश्य शीतल है। गणेश जी की शांतिपूर्ण प्रकृति का गुण शशि यानी चंद्रमा में है। वक्रतुण्ड में चंद्रमा भी समाहित हैं।

ये भी है मान्यता…
: पृथ्वी पुत्र मंगल में उत्साह का सृजन एकदंत द्वारा ही आया है।
: बुद्धि, विवेक के देवता होने के कारण बुध ग्रह के अधिपति तो ये हैं ही, जगत का मंगल करने, साधक को निर्विघ्नता पूर्ण कार्य स्थिति प्रदान करने, विघ्नराज होने से बृहस्पति भी इनसे तुष्ट होते हैं।

: धन, पुत्र, ऐश्वर्य के स्वामी गणेशजी हैं, जबकि इन क्षेत्रों के ग्रह शुक्र हैं। इस तथ्य से आप भी यह जान सकते हैं कि शुक्र में शक्ति के संचालक आदिदेव हैं।

: धातुओं व न्याय के देव हमेशा कष्ट व विघ्न से साधक की रक्षा करते हैं, इसलिए शनि ग्रह से इनका सीधा रिश्ता है।

: गणेशजी के जन्म में भी दो शरीर का मिलाप (पुरुष व हाथी) हुआ है।

इसी प्रकार राहु-केतु की स्थिति में भी यही स्थिति विपरीत अवस्था में है अर्थात गणपति में दो शरीर व राहु-केतु के एक शरीर के दो हिस्से हैं।
बुधवार का मंत्र जो हर समस्या करे दूर…
भगवान गणेश की विशेष पूजा का दिन मुख्य रूप से बुधवार माना जाता है, इस दिन अगर आप मन से गणेश जी की पूजा करते है तो गणेश जी से मनचाहा वरदान पा सकते हैं। इस दिन भगवान की पूजा सच्चे मन से करने से मनवांछित फल मिलता है, साथ ही अगर आपकी कुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में है तो इस दिन पूजा करने से वह भी शांत हो जाता है।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार बुधवार को गणेशजी के इस मंत्र का जाप विधि-विधान से करने से सभी कष्टों से निजात मिल जाता है।
मंत्र : त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।
नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम।।

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