वहीं कई स्थानों पर विनायक चतुर्थी को ‘वरद विनायक चतुर्थी’ भी कहते हैं। ऐसा विश्वास है कि विनायकी चतुर्थी व्रत करने से घर में सुख, समृद्धि, संपन्नता के साथ-ज्ञान एवं बुद्धि की प्राप्ति भी होती है। इस दिन श्रीगणेश का पूजन किया जाता है। यह भी माना जाता है कि इस दिन श्री गणेश की पूजा दोपहर में की जानी चाहिए।
दरअसल हर माह में दो चतुर्थी तिथि आती है, एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। शास्त्रों के अनुसार, चतुर्थी तिथि भगवान श्री गणेश को समर्पित है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। कई स्थानों पर विनायक चतुर्थी को ‘वरद विनायक चतुर्थी’ के नाम से भी जाना जाता है।
जनवरी में विनायक चतुर्थी 10 जनवरी को है। इस दिन गणेश की उपासना करने से घर में सुख-समृद्धि, आर्थिक संपन्नता के साथ-साथ ज्ञान एवं बुद्धि प्राप्ति होती है।
ऐसे करें विनायक चतुर्थी की पूजा…पंडित शर्मा के अनुसार इस दिन श्री विनायक का पूजन करने के लिए प्रात काल उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें और यदि संभव हो तो लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
पंडित व ज्योतिष शर्मा के अनुसार ऐसी मान्यता है कि बुधवार श्रीगणेश की पूजा का विशेष दिन होता है । साथ ही, इस दिन बुध ग्रह के निमित्त भी पूजा की जाती है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में हो तो बुधवार को इस तरह मंत्र, पूजा कर कई परेशानी दूर कर सकते हैं।
परिवार में कलह कलेश हो तो बुधवार के दिन दूर्वा के गणेश जी की प्रतिकात्मक मूर्ति बनवाएं। इसे अपने घर के देवालय में स्थापित करें और प्रतिदिन इसकी विधि-विधान से पूजा करें। पूजन में इस मंत्र का करें जप-
मंत्र:
प्रातर्नमामि चतुराननवन्द्यमानमिच्छानुकूलमखिलं च वरं ददानम।
तं तुन्दिलं द्विरसनाधिपयज्ञसूत्रं पुत्रं विलासचतुरं शिवयो: शिवाय।।
प्रातर्भजाम्यभयदं खलु भक्तशोकदावानलं गणविभुं वरकुञ्जरास्यम।
अज्ञानकाननविनाशनहव्यवाहमुत्साहवर्धनमहं सुतमीश्वरस्य।। बिगड़े काम बनाने के लिए बुधवार को गणेश मंत्र का स्मरण करें-
मंत्र : त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय। नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम।
सिद्धि प्राप्ति मंत्र – मंत्र : एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निविज़्घ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिप:॥
विनायकश्चारुकर्ण: पशुपालो भवात्मज:।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत क्वचित। श्री गणेश का पूजन जीवन में खुशियां लाता है। श्री गणेश के इन मूल मंत्रों का 108 बार नियमित जप करने से मनोकामना पूर्ति में सहायक होते हैं। किसी भी एक मंत्र का जप किया जा सकता है।
मंत्र :
श्री गणेशाय नम:।
ऊँ गं गणपतये नम:।
ऊँ गं ऊँ।
एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।
महाकणाज़्य विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।। इन बातों का भी रखें खास ध्यान…
इस दिन पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ भी करना उत्तम माना जाता है। साथ ही ब्राह्मण को भोजन और दक्षिणा देने से भी भगवान प्रसन्न होते हैं। इस दिन उपवास करके शाम के समय भोजन ग्रहण करें।
श्रीगणेश जी को ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह से संबद्ध किया जाता है। इनकी उपासना नवग्रहों की शांतिकारक व व्यक्ति के सांसारिक-आध्यात्मिक दोनों तरह के लाभ की प्रदायक मानी गई है।
ये भी है मान्यता…
: पृथ्वी पुत्र मंगल में उत्साह का सृजन एकदंत द्वारा ही आया है।
: धन, पुत्र, ऐश्वर्य के स्वामी गणेशजी हैं, जबकि इन क्षेत्रों के ग्रह शुक्र हैं। इस तथ्य से आप भी यह जान सकते हैं कि शुक्र में शक्ति के संचालक आदिदेव हैं।
: धातुओं व न्याय के देव हमेशा कष्ट व विघ्न से साधक की रक्षा करते हैं, इसलिए शनि ग्रह से इनका सीधा रिश्ता है।
: गणेशजी के जन्म में भी दो शरीर का मिलाप (पुरुष व हाथी) हुआ है।
इसी प्रकार राहु-केतु की स्थिति में भी यही स्थिति विपरीत अवस्था में है अर्थात गणपति में दो शरीर व राहु-केतु के एक शरीर के दो हिस्से हैं।
भगवान गणेश की विशेष पूजा का दिन मुख्य रूप से बुधवार माना जाता है, इस दिन अगर आप मन से गणेश जी की पूजा करते है तो गणेश जी से मनचाहा वरदान पा सकते हैं। इस दिन भगवान की पूजा सच्चे मन से करने से मनवांछित फल मिलता है, साथ ही अगर आपकी कुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में है तो इस दिन पूजा करने से वह भी शांत हो जाता है।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार बुधवार को गणेशजी के इस मंत्र का जाप विधि-विधान से करने से सभी कष्टों से निजात मिल जाता है।
मंत्र : त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।
नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम।।