मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें हैं। बीजेपी ने 27 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि कांग्रेस महज 2 सीटों पर सिमट गई थी। साल 2013 में जब मोदी युग की शुरुआत नहीं हुई थी तब बीजेपी ने मध्य प्रदेश में जीत की हैट्रिक लगाई थी। उस वक्त 2013 में बीजेपी को 45 फीसदी वोट मिले थे लेकिन 2014 में ये 55 फीसदी हो गया। यानी छह महीने में ही मोदी के नाम पर दस फीसदी वोटों का इजाफा हो गया था।
शिवराज सिंह चौहान को आडवाणी कैंप का माना जाता रहा है लेकिन मोदी का जलवा देखने के बाद शिवराज ने भी पाला बदल लिया और मोदी के रंग में खुद को पूरी तरह से रंग लिया। स्थिति ये है कि बीजेपी की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को समझते हुए शिवराज पूरी तरह से मोदी के रंग में रंग चुके हैं। मोदी के तीन साल के कार्यकाल की तारीफ में शिवराज अद्भुत और अभूतपूर्व जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर चुके हैं।
लाइन में लगे हैं नेता पुत्र
बीत दिनों से विधानसभा चुनावों की तैयारियां शुरू हो चुकीं हैं। दोनों ही पार्टी (भाजपा और कांग्रेस) की तरफ से इस बार बहुत से नए चेहरे आ रहे हैं। बात अगर भाजपा की करें तो कई नेता पुत्र लाइन में लगे हुए हैं, ताकतवर पिता उनके टिकट फाइनल करवा चुके हैं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की बात करें तो यहां भी सीटों का बंटवारा जारी है। बताया जा रहा है कि मप्र युवक कांग्रेस को इस बार 39 सीटें दे दी गईं हैं। कहा गया है कि वो इन सीटों पर अपनी तैयारी कर लें।
हार चुकी है चुनाव
बात करें अगर इलाकाई राजनीति की तो कांग्रेस की 39 सीटों पर पार्टी लगातार तीन बार हार चुकी है। हार के बाद भी कांग्रेस ने नए रूप में फिर से इन सीटों को अपने नाम किया है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया और युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कुणाल चौधरी के बीच इन दिनों काफी बातें हो रही हैं। इन बातों में दीपक बावरिया ने कुणाल चौधरी को 39 सीटों पर ध्यान देने के लिए कहा है।
वहीं दूसरी ओर इन सब बातों के बीच कांग्रेस में अभी टिकट वितरण का कोई फार्मूला तय नहीं हुआ है। माना ये भी जा रहा है कि युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कुणाल चौधरी खुद भी चुनाव मैदान में उतरेंगे। वो कालापीपल विधानसभा सीट से तैयारी कर रहे हैं। अब देखना होगा कि आगे क्या होता है लेकिन कांग्रेस पार्टी अपनी तरफ से जी जान लगा रही है।