केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंत कुमार की खास बात यह थी कि वे दक्षिण के नेता थे, लेकिन संगठन में उनकी पकड़ मध्यप्रदेश से लेकर उत्तर तक थी। हाल ही में उन्हें केंद्रीय चुनाव समिति में सदस्य बनाया था और भोपाल में दिए एक बयान से सुर्खियों में आ गए थे। अनंत कुमार कर्नाटक के बैंगलुरू से 6 बार सांसद चुने जा चुके हैं। उनकी कार्यक्षमता और मैनेजमेंट के कारण मोदी ससरकार में उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया था। उनके पास संसदीय मामले का भी कार्यभार था। 59 वर्षीय अनंत कुमार कैंसर से पीड़ित थे और उन्होंने बैंगलुरू के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली।
जब भोपाल गलत आंकड़ें देकर उलझ गए थे मंत्रीजी
बात 26 जून 2018 की है। जब केंद्रीय मंत्री रहते हुए अनंत कुमार किसानों की आत्महत्या के आंकड़ों को देकर उलझ गए थे। वे ही—सही जवाब नहीं दे पाए थे। हालांकि जब उन्हें लगा कि उनसे गलती हुई तब उसका भी एक अलग तरह से जवाब दिया गया। अनंत ने दावा किया था कि भाजपा शासित प्रदेशों में कांग्रेस शासित प्रदेशों की तुलना में कम किसानों ने आत्महत्या की है। मीडिया ने अनंत से मध्यप्रदेश में किसानों की आत्महत्या के बारे में पूछा तो वे मीडिया से ही सवाल करने लगे। फिर बोले- मध्यप्रदेश में 600 किसानों ने आत्महत्या की है। इसके जवाब में जब मीडिया ने बताया कि मध्यप्रदेश में पिछले 15 साल में 18000 किसानों ने आत्महत्या की है तो अनंत ने कहा, प्रेस कॉन्फ्रेंस आंकड़ों के आदान-प्रदान के लिए नहीं होती है।
अनंत कुमार के स्वागत में झगड़ पड़े थे भाजपा नेता
इससे पहले जब अनंत कुमार भोपाल आए थे तो उनके स्वागत करने की होड़ में कई भाजपा नेता सुरक्षाकर्मियों से झगड़ पड़े थे। पुलिस ने उन्हें रोका तो जमकर बहस भी हुई थी।
इससे पहले भी कर चुके हैं बड़ी गलती
बात 20 जनवरी 2017 की है जब केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंत कुमार भोपाल आए थे। तब उन्होंने कहा था कि मध्यप्रदेश में 95 प्रतिशत कैशलेश भुगतान हो रहा है। मंत्रीजी के ये आकड़े सुन सभी हैरान रह गए। बाद में उन्होंने गलती सुधारते हुए अलग से पत्रकारों से कहा था कि मंडियों में भुगतान 95 प्रतिशत कैशलेस हो रहा है। बाद में मामला शांत हुआ था।
सीएम के लिए भी बोली थी ऐसी बात
केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए भी कहा था कि देश में यह पहले मुख्यमंत्री कैशलेश मुख्यमंत्री हैं।
उनकी जेब में न पहले पैसा हुआ करता था, न आज है। आज वे देश के सभी मुख्यमंत्रियों के लिए रोल मॉडल बन चुके हैं। उन्हें सुशासन के लिए पूरे देश में घूमकर प्रचार करना चाहिए।