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भोपाल

जानिए क्यों… इस तेंदुआ का बुजुर्ग की तरह होता था सम्मान

— वन विहार के जहन में सदा जिंदा रहेंगी नैना की यादें- वन विहार को हमेशा याद रहेगी देश की सबसे बुजुर्ग तेंदुआ नैना- 14 साल पहले लाई गई थी वन विहार, अपने व्यवहार से जीता सबका दिल

भोपालJan 22, 2019 / 02:48 pm

आसिफ सिद्दीकी

This leopard would have been respected like the elderly

जानिए क्यों… इस तेंदुआ का बुजुर्ग की तरह होता था सम्मान

आसिफ सिद्दीकी, भोपाल. पिछले दिनों अचानक वन विहार भोपाल की धड़कन थम सी गई। हर ओर सन्नाटा पसर गया। यहां रहने वाली देश की सबसे बुजुर्ग मादा तेंदुआ ने अंतिम सांस क्या ली वन विहार वीरान सा लगने लगा। 14 साल पहले यहां लाई गई नैना अपने व्यवहार और शांत स्वभाव से अपने केयर टेकर्स की सबसे खास मेहमान हुआ करती थी। नैना की आवाज अब कभी वन विहार में नहीं गूंजेगी, लेकिन उसकी यादें वन विहार के जहन से कभी निकल नहीं पाएगी।

उसकी कराह से हिल जाता था वन विहार
बिल्ली परिवार में सबसे खतरनाक सदस्य माना गया तेंदुआ भोपाल के वन विहार में सबसे मित्रवत प्राणी के रूप में जाना जाएगा। हम बात कर रहे हैं पिछले दिनों सबसे लंबी उम्र में प्राण त्यागने वाली मादा तेंदुआ नैना की। नैना मध्यप्रदेश में सबसे लंबा जीवन जीने वाली और देश में संभवत: अकेली इतनी लंबी आयु पाने वाली तेंदुआ के रूप पहचानी जाती रहेगी। 14 साल तक यहां आने वाले लोगों को वन्य जीवन का दर्शन कराने वाली नैना की देखरेख वन विहार में किसी बुजुर्ग की तरह ही होती थी। नैना की जरा सी तकलीफ से पूरा वन विहार कराह उठता था।

सतना से किया था रेस्क्यू
14 साल पहले इसे सतना से रेस्क्यू कर वन विहार लाया गया था। तभी से वन विहार में यह आकर्षण का कारण थी। इसके केयर टेकर के अनुसार शुरुआत में जब इसे यहां लाया गया था तब वह काफी विचलित रहती थी। कई सौ किमी जंगल का राज छोड़कर कुछ एकड़ के बाड़े में उसे अच्छा नहीं लगता था। हालांकि धीरे धीरे उसने वन विहार को स्वीकार कर लिया और यहीं की स्थायी सदस्य होकर रह गई, जो बाड़ा नैना की दहाड़ से हलचल पैदा करता रहता था आज वह सुनसान हो गया है। वन विहार के कर्मचारी भी अभी उस स्थान पर नहीं जा रहे हैं जहां नैना को रखा गया था।

नहीं लगा आदमखोर का ठप्पा
अधिकांश तेंदुए जिनका रेस्क्यू किया जाता है उनपर आदमखोर होने का ठप्पा लग जाता है। इन तेंदुओं की स्थानीय आबादी भी दुश्मन हो जाती है, लेकिन नैना के साथ ऐसा नहीं था। वह भटक गई थी। इसी के चलते वन विभाग सतना ने उसका रेस्क्यू कर उसे वन विहार भोपाल को सौंप दिया था।

रिस्पांस करती थी
– नैना वन विहार की इतनी अभ्यस्त हो गई थी कि जब भी वहां जाओ तो वह रिस्पांस करती थी। उसने कभी किसी कर्मचारी पर क्रोध नहीं किया और न ही कभी किसी पर हमला किया। नैना को वन विहार कभी भूल नहीं पाएगा।
अशोक कुमार जैन, एसडीओ, वन विहार भोपाल
सबसे उम्रदराज थी नैना
– नैना वन विहार और मध्यप्रदेश के इतिहास की सबसे बुजुर्ग मादा तेंदुआ थी। तेंदुए की उम्र 18 से 20 वर्ष होती है जबकि अच्छी देखरेख के चलते नैना ने जीवन के 28 बसंत पूरे किए। अब तक मिली जानकारी के अनुसार वह देश की भी सबसे बुजुर्ग तेंदुआ थी।
समीता राजौरा, निदेशक, वन विहार भोपाल

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