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केंद्र सरकार की इन यूनिवर्सिटियों पर है खास नजर, राजभवन से मांगी जानकारी

locationभोपालPublished: Dec 17, 2018 07:34:37 am

राजभवन में होगा मंथन,बीयू के कुलपति आरजे राव होंगे समन्वयक…

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केंद्र सरकार की इन यूनिवर्सिटियों पर है खास नजर, राजभवन से मांगी जानकारी

भोपाल। प्रदेश के विश्वविद्यालयों की गिरती साख और लगातार कमजोर होती शैक्षणिक व्यवस्था पर केंद्र सरकार की भी नजर है। नेशनल असेसमेंट एण्ड एक्रीडेशन काउंसिल (नैक) की ए-ग्रेड में प्रदेश के किसी भी विवि के शामिल न होने और राष्ट्रीय स्तर पर लगातार गिरती साख के बाद केंद्र ने राजभवन से विवि की गुणवत्ता सुधार के लिए किए जाने वाले कार्यों की जानकारी मांगी है।
इसे लेकर जल्द ही राजभवन में एक प्रेजेंटेशन होगा। बीयू के कुलपति आरजे राव इस प्रेजेंटेशन के समन्वयक होंगे। प्रजेंटेशन में वर्तमान स्थिति और उनके किए जाने वाले सुधारों को लेकर चर्चा की जाएगी।
विश्वविद्यालयवार उनकी कमियां, खूबियां और स्थित को लेकर चर्चा होगी। इसमें बीयू के विभागों की स्थिति, नैक ग्रेडिंग के लिए किए जाने वाले काम आदि रहेंगे।

सुविधाओं से जूझ रहे विवि…
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के अधिकांश विवि आधारभूत सुविधाओं की कमी से ही जूझ रहे हैं। इनमें गुणवत्तायुक्त लैब, नियमित शिक्षकों की कमी, बिना विभागाध्यक्षों के चल रहे विभाग,आधारभूत इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी, इंजीनियरिंग संस्थानों में कम्प्यूटर लैब, प्रैक्टिकल लैब की कमी, विवि से उत्तीर्ण होकर निकलने वाले विद्यार्थियों का प्लेसमेंट न होना जैसे तमाम मामले शामिल हैं।

प्रदेश के किसी भी विवि के पास नहीं नैक की ए-ग्रेड…
ज्ञात हो कि प्रदेश में किसी भी शासकीय विश्वविद्यालय के पास ए ग्रेड नही है। जबकि नैक की ग्रेड की यह बताती है कि शैक्षणिक गुणवत्ता के स्तर पर विवि कहां पर है। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल का भी पूरा जोर विवि में शैक्षणिक गुणावत्ता को लेकर है। वे लगातार विवि को नैक की ए-ग्रेड प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करती रही हैं।
इधर, शिक्षकों पर ऐसे कसी नकेल…
वहीं दूसरी ओर राज्य शिक्षा केन्द्र ने सभी शिक्षकों से एम शिक्षा मित्र के माध्यम से उपस्थिति दर्ज कराने के निर्देश जारी किए हैं। केन्द्र की ओर से 30 जून को अनिवार्यता के आदेश जारी होने के बाद शिक्षकों ने इसका विरोध किया।
इस बीच तात्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शिक्षकों का सम्मान बनाए रखने के लिए ऑनलाइन उपस्थिति की अनिवार्यता पर विचार की बात कही थी। जिसके बाद से ही अधिकांश शिक्षक एमशिक्षा मित्र से उपस्थिति दर्ज कराने से बच रहे थे। लेकिन मतगणना के ठीक अगले दिन आदेश जारी करके विभाग ने शिक्षकों पर सख्ती की शुरुआत कर दी है।
इस आदेश पर शिक्षक कांग्रेस और अन्य शिक्षक संगठनों का कहना है कि राज्य शिक्षा केन्द्र से जारी आदेश केवल माध्यमिक शालाओं के शिक्षकों को चिह्नित करके जारी किए गए हैं। दूसरी ओर एम शिक्षा मित्र के आंकड़ों पर नजर डाले तो प्रदेश भर में केवल आठ से नौ हजार शिक्षक ही ऐप के माध्यम से ऑनलाइन अटेंडेस दर्ज करा रहे हैं।

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