रहे हैं अपनी संस्कृति की खुश्बू
एमपी नगर में दो माह से वूलन वस्तुओं तिब्बती बाजार लगा हुआ है। अक्सर हम तिब्बती व्यापारियों के पास इसलिए जाते हैं वे कि कम कीमत में गर्म कपड़े उपलब्ध कराते हैं। पहले केवल ऊनी कंबल और स्वेटर लाने वाले यह व्यापारी समय के साथ बदल रहे हैं। अपने पंडालों में यह ग्राहकों को हर वो क्वालिटी उपलब्ध कराने का प्रयास करते हैं जो बड़ी दुकानों और मॉल में मिलती हैं। समय के साथ बदलाव ने इनके व्यापार में भी इजाफा किया और इनका बाजार निर्बाध रूप से देशभर में अपनी संस्कृति की खुश्बू बिखेर रहा है।
मई जून में बन जाते हैं किसान
मैसूर से आए युवा व्यवसायी छम्बा के अनुसार दो माह पहले भोपाल आए थे। भोपाल से लौटने के बाद परिवार के साथ दो माह आराम के बाद खेती के काम में लग जाएंगे। उनके इलाके में मई से फसलें लगाने का काम शुरू होता है जो जुलाई अगस्त तक फसल के साथ खत्म होता है। वे अपने खेतों में मक्का, मिर्च और लहसुन बोते हैं। भोपाल से लौटने के बाद पूरी तरह किसान बन जाएंगे और अगले साल फिर भोपाल आएंगे।
आधूनिकता के साथ विरासत
तिब्बती अपनी सांस्कृति के साथ ही आधुनिकता का खूबरत संगम बनाए हुए हैं। तीन माह पहले एमपी नगर तिब्बत बाजार में पत्नी डालमाजी के साथ आए दोरजी अब अपना सामान समेट रहे हैं। दोरजी बताते हैं कि उनकी दुकान में पहले जहां सिर्फ ऊनी शालें और स्वेटर हुआ करते थे अब वे सभी आधुनिक फेब्रिक और वूलन के साथ बाजार में उपलब्ध हर वेरायटी यहां के ग्राहकों तक पहुंचा रहे हैं। वे भी यहां से लौटने के बाद खेती में जुट जाएंगे।
दो माह में ढाई करोड़ कारोबार
बेहद विनम्र और मीठी बोली के साथ व्यापार करने वाले तिब्बती व्यापारी भोपालियों का दिल जीतने में पूरी तरह कामयाब रहे। दोरजी के अनुसार इस साल वूलन कपड़ों का बाजार बहुत अच्छा रहा। उनके साथ आए करीब ५० अन्य परिवारों ने यहां दुकानें लगाई हैं। लगभग सभी दुकानदारों ने औसतन पांच लाख रुपए का कारोबार किया है। एमपी नगर बाजार से ही तिब्बती बाजार ने इस साल करीब ढाई करोड़ रुपए का कारोबार किया है।