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राजस्थान के बाद MP में जीका वायरस का आतंक

locationभोपालPublished: Oct 14, 2018 01:42:23 pm

जानिये बचाव के तरीके, जीका वायरस का भारत में अब तक का सबसे बड़ा प्रकोप…

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राजस्थान के बाद MP में जीका वायरस का आतंक

भोपाल। राजस्थान के बाद अब मध्यप्रदेश में भी जीका वायरस का आतंक छा गया है। राजस्थान की राजधानी जयपुर में जीका वायरस के प्रकोप के चलते मध्यप्रदेश के नागरिकों को भी जीका वायरस का डर सताने लगा है।
वहीं इस डर का सबसे ज्यादा असर राजस्थान से सटे मध्यप्रदेश के जिलों में ज्यादा देखने को मिल रहा है। पड़ोसी राज्य में जीका वायरस के प्रकोप को देखते हुए मध्यप्रदेश में भी इसे लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है।

दरअसल जयपुर में 25 दिन पहले शास्त्री नगर में एक मरीज के मिलने के बाद शनिवार तक इससे प्रभावितों की संख्या 55 तक पहुंच गई। संक्रमित मरीजों में 11 गर्भवती महिलाएं शामिल हैं। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
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इन मरीजों पर रखी जाएगी नजर
वहीं राजस्थान में जीका बुखार के 55 मामले मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने मध्यप्रदेश में भी अलर्ट जारी कर दिया है। विभाग ने सभी जिला अस्पतालों में व्यवस्थाएं दुरुस्त रखने के साथ ही दूसरे राज्यों खासकर राजस्थान से आने वाले मरीजों पर नजर रखने के लिए कहा है। इसके लिए तेज बुखार और गंभीर मरीजों की पूरी मॉनीटरिंग करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुधीर जेसानी का कहना है कि फिलहाल मध्यप्रदेश में जीका का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन राजस्थान निकटवर्ती प्रदेश है इसलिए अलर्ट जारी किया गया है।
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बता दें कि जीका वायरस एडीज एजिप्टाई मादा मच्छरों के काटने से फैलता है। यह वायरस नवजात बच्चों को जल्दी शिकार बनाता है और सीधे तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है, जो काफी खतरनाक होता है।
वर्तमान में इस बीमारी की जांच केवल एम्स भोपाल, एनसीडीसी नई दिल्ली एवं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे में ही संभव है। राजधानी के गांधी मेडिकल कॉलेज में एक सप्ताह में यह जांच शुरू हो जाएगी।
जानिये क्या है जीका वायरस
यह वायरस एडीज, एजिप्‍टी और अन्‍य मच्‍छरों से फैलता है। ये मच्छर चिकनगुनिया और डेंगू भी फैलाते हैं। वहीं अभी तक इसकी कोई दवाई मौजूद नहीं है।

ये हैं लक्षण:
– बुखार ।
– जोड़ो का दर्द ।
– शरीर पर लाल चकत्‍ते ।
– थकान ।
– सिर दर्द ।
– आंखों का लाल होना ।
जीका वायरस ऐसे फैलता है?
यह वायरस डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया की ही तरह मच्छरों से फैलता है. यह एक प्रकार का एडीज मच्छर ही है, जो दिन में सक्रिय रहते हैं. अगर यह मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काट लेता है, जिसके खून में वायरस मौजूद है, तो यह किसी अन्य व्यक्ति को काटकर वायरस फैला सकता है. मच्छरों के अलावा असुरक्षित शारीरिक संबंध और संक्रमित खून से भी जीका बुखार या वायरस फैलता है.
जीका वायरस से ये है खतरा?
1. माइक्रोकेफेली : इससे प्रभावित बच्‍चे का जन्‍म आकार में छोटे और अविकसित दिमाग के साथ होता है।
2. ग्‍यूलेन-बैरे: सिंड्रोम शरीर के तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है और इसके चलते लोग लकवा का शिकार हो जाते हैं।
बताया जाता है कि यह वायरस इतना खतरनाक है कि अगर किसी गर्भवती महिला को हो जाए तो गर्भ में पल रहे बच्चे को भी यह बुखार हो सकता है। जिस वजह से बच्चे के सिर का विकास रूक सकता है और वर्टिकली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन भी फैल सकता है।
वर्टिकली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन में स्किन रैशेज़ या दाग, पीलिया, लिवर से जुड़ी बीमारियां, अंधापन, दिमागी बीमारी, ऑटिज़्म, सुनने में दिक्कत और कई बार बच्चे की मौत भी हो सकती है। वहीं, वयस्कों में जीका वायरस गुलैन-बैरे सिंड्रोम का कारण बन सकता है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली नसों पर हमला करती हैं, इस वजह से शरीर में कई दिक्कतों की शुरुआत होती है।
जीका वायरस से बचने के लिए क्या करें?
जीका वायरस को फैलाने वाले मच्छर से बचने के लिए वही उपाय हैं जो आप डेंगू से बचने के लिए करते आए हैं. जैसे मच्छरदानी का प्रयोग, पानी को ठहरने नहीं देना, आस-पास की साफ-सफाई, मच्छर वाले एरिया में पूरे कपड़े पहनना, मच्छरों को मारने वाली चीज़ों का इस्तेमाल और खून को जांचे बिना शरीर में ना चढ़वाना.
जीका वायरस से बचने के घरेलू उपाय…
डॉ. राजकुमार के अनुसार जीका वायरस से बचने के लिए अभी तक इसकी कोई दवाई मौजूद नहीं है। ऐसे में इससे बचाव का सबसे सटीक तरीका खुद का मच्छरों से बचाव ही है।
– मच्छरों से दूर रहना ही इससे बचने का सबसे कारगर उपाय है । इसलिए मच्छरों के काटने से बचने के लिए रेप्लेंट क्रीम, मच्छरदानी, आदि का प्रयोग करें।
– अगर इससे जुड़े किसी भी प्रकार का लक्षण देखने को मिले तो तुरंत ही किसी डॉक्टर से मिलें ।
– किसी भी ऐसी Medicine दवा का सेवन किसी Doctor से Concern करने से पहले न करे जो की दर्द और बुखार से राहत देता हो ।
– लक्षणों से राहत पाने के लिए, आराम करें।
– पानी का सेवन करें जिससे डीहाईड्रेशन न हों।
– लोगों को और विशेषकर गर्भवती महिलाओं को उन स्थानों की यात्रा से बचना चाहिए जहां पर इसका संक्रमण फैला हुआ है। इसलिए कही भी यात्रा करने से पहले इसका खासकर ध्यान रखें।
– समय-समय पर कीटनाशक दवाइयों का छिडकाव कराये|
– बार-बार हाथ-पैर धोये| किसी भी प्रकार की गन्दगी ना रखे ना ही होने दे|
– बाहर के पैकिंग खाद्य पदार्थो का उपयोग ना करे|
– किसी भी प्रकार की लापरवाही ना बरते, विशेष रूप से गर्भवती महिलाएं व नवजात शिशु और उनकी माता।

– किसी भी जगह पानी इक्ट्ठा नहीं होने दें।
– मच्छरों को पनपाने वाली झाड़ियों को आसपास न पनपने दें।
– खुद को मच्छरों के काटने से बचाएं |
– वैसे तो ये मच्छर मुख्य रूप से दिन में प्रभावी माने जाते हैं, लेकिन रात को सोते समय मच्छर दानी का प्रयोग करना ज्यादा सुरक्षित है।
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प्राकृतिक उपचार या बचाव…
जानकारों का मानना है कि भले ही जीका वायरस से संबंधित अब तक किसी दवाई का निर्माण नहीं किया गया हो, लेकिन प्रकृति की ओर से हमें तकरीबन हर बीमारी से बचाव की चीजें दी गई हैं। भले ही ये चीजें हमारे स्वास्थ्य में पूरी तरह से सुधार न करें लेकिन लाभ जरूर देतीं है। ऐसे में जीका वायरस से बचाव या उपचार के तौर पर कुछ प्राकृतिक चीजों को खास मददगार माना जाता है।
1. लहसुन : लहसुन जीका के लिए एक अच्छा उपाय हो सकता है, क्योंकि लहसुन में एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो वायरल, बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण से लड़ने में आपकी मदद कर सकते हैं।
लहसुन में पाया जाने वाला एक सक्रिय घटक एलिसिन आपकी इम्यूनिटी को मजबूत करने और मांसपेशियों में दर्द और बुखार से निपटने में सहायता कर सकता है। आप इसे अपने दैनिक आहार में शामिल कर सकते हैं।
2. पपीते के जूस: पपीता एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर है। आप अपनी प्रतिरक्षा को बढ़ाने, रक्त में प्लेटलेट काउंट को बढ़ाने और संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए पपीते के जूस का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा इसमें शक्तिशाली एंजाइम जैसे पपेन पाया जाता है, जो आपकी उपचार करने में मदद कर सकता है।
सावधान रहें!- गर्भवती महिलाओं के लिए पपीता का रस अनुशंसित नहीं है। यह उनके भ्रूण के लिए खतरनाक हो सकता है। तो, गर्भवती महिलाओं को इससे बचना चाहिए।

3. विटामिन सी: शिमला मिर्च, स्ट्रॉबेरी और कीवी जैसे खाद्य पदार्थ विटामिन सी से भरपूर होते हैं और ये एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करते हैं, यह सफेद रक्त कोशिका उत्पादन में वृद्धि करते हैं, इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं और आपके क्षतिग्रस्त शरीर के अंगों की मरम्मत करते है।
ये है बचाव के मुख्य तरीके…
1. मच्छरों की रोकथाम: मच्छरों की रोकथाम को जीका वायरस के इंफेक्शन से बचने का सबसे अच्छा उपाय माना जाता है।

जानकारों का कहना है इसके तहत मच्छरों से बचने वाली क्रीम या मच्छरदानी का उपयोग करें। घर के आसपास मच्छरों को न पनपने दे। कहीं पानी जमा न होने है।
2. शरीर को ढ़ककर रखें: जीका वायरस चुंकि मच्छरों के काटने से होता है, इसलिए अपने शरीर को ढ़ककर भी हम इससे काफी हद तक बच सकते हैं। हल्के रंग के कपड़े पहने और बच्चों का खास ध्यान रखें।
3. डॉक्टर्स से संपर्क: जीका वायरस के मरीज को बेड रेस्ट करना चाहिए। साथ ही उसे अधिक मात्रा में पानी व तरल पदार्थ लेने चाहिए। इसमें सबसे खास बात ये है कि स्वयं अपना इलाज कदापि न करें, यदि आपको जरा से भी इसके लक्षण दिखते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
ये है मामला…
दरअसल जयपुर के शास्त्री नगर और सिंधी कैंप क्षेत्र से आगे इस वायरस ने अब न्यू सांगानेर रोड और बैनाड रोड पर भी दस्तक दे दी है। इन इलाकों में भी वायरस से प्रभावित मरीज मिले हैं। जबकि चिकित्सा विभाग ने 20 दिन तक तमाम संसाधन शास्त्रीनगर में लगा रखे थे। सिंधी कैंप क्षेत्र के एक हॉस्टल के कुछ युवकों में जीका की पुष्टि हुई है।
उधर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को सलाह (एडवाइजरी) जारी कर सतर्क रहने का निर्देश दिया है। पड़ोसी राज्य होने के कारण उत्तर प्रदेश ने पूरे राज्य में अलर्ट जारी कर दिया गया है।
पहले आंकड़े छिपाता रहा चिकित्सा विभाग
पहला मरीज मिलने के बाद राजस्थान के चिकित्सा विभाग ने अन्य मरीजों की पुष्टि नहीं की। बाद में एक साथ 24 मरीजों की पुष्टि की गई। इसके बाद संख्या 29, फिर 32 हुई। शुक्रवार को संख्या 42 तक पहुंची। शनिवार को १३ मरीजों की पुष्टि से आंकड़ा 55 तक पहुंच गया।
गर्भवती महिलाओं को भारत न जाने की सलाह
मरीजों की संख्या लगातार बढने के साथ दुनिया भर से आने वाले पर्यटकों के लिए जयपुर चिंता का विषय बन गया है। कनाडा समेत कुछ देश तो गर्भवती महिलाओं को भारत नहीं आने की सलाह भी दे चुके हैं।
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